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डायबिटीज डिस्‍ट्रेस और बर्नआउट को बेहतर तरीके से कैसे मैनेज करें?

जिम्‍मेदारियों और चिंताओं के लगातार चलने वाले इस चक्र को ‘डायबिटीज डिस्‍ट्रेस’ कहा जाता है. और भारत में टाइप 2 डायबिटीज से पीडि़त लगभग 33% वयस्‍कों को यह प्रभावित करता है.

डायबिटीज डिस्‍ट्रेस और बर्नआउट को बेहतर तरीके से कैसे मैनेज करें?

Monday September 09, 2024 , 4 min Read

डायबिटीज के साथ जीना एक ही समय में कई उलझनों के बीच रहने जैसा लग सकता है. इसमें ग्‍लूकोज पर लगातार नजर रखनी पड़ती है, खाने-पीने पर पूरा ध्‍यान देना होता है और व्‍यायाम का भी रुटीन बनाना पड़ता है. यह भी सोचना पड़ता है कि रोजाना की गतिविधियाँ किस तरह से ग्‍लूकोज के लेवल्‍स पर असर डालती हैं और उनमें अचानक बदलाव के लिये तैयार रहना पड़ता है. जिम्‍मेदारियों और चिंताओं के लगातार चलने वाले इस चक्र को ‘डायबिटीज डिस्‍ट्रेस’ कहा जाता है. और भारत में टाइप 2 डायबिटीज से पीडि़त लगभग 33% वयस्‍कों को यह प्रभावित करता है.

डोटे क्लिनिक, जसोला, नई दिल्‍ली की एंडोक्राइनोलॉजिस्‍ट डॉ. ऋचा चतुर्वेदी कहती हैं, “देखभाल और सावधानी के साथ किसी पुरानी बीमारी को मैनेज करना और साथ में रोजमर्रा की जिन्‍दगी के तनावों से जूझना काफी परेशान कर सकता है. इससे मा‍नसिक थकावट और तनाव हो सकता है, कुंठा, अकेलापन और अक्रियाशीलता बढ़ सकती है. ऐसी भावनाओं के उभरने से डायबिटीज को मैनेज कर पाना मुश्किल हो सकता है. लोग शारीरिक गतिविधि में शामिल होकर और कंटिन्‍यूअस ग्‍लूकोज मॉनिटरिंग डिवाइसेस जैसे आसान टूल्‍स से ग्‍लूकोज का ध्‍यान रखकर तथा सेहतमंद आहार को अपनाकर डायबिटीज को मैनेज कर सकते हैं. इस तरह उन्‍हें स्‍वास्‍थ्‍य के बेहतर परिणाम मिलेंगे.”

डॉ. प्रशांथ सुब्रमण्यिन, हेड ऑफ मेडिकल अफेयर्स, इमर्जिंग एशिया एण्‍ड इंडिया, डायबिटीज केयर, एबॅट ने कहा, “तनावपूर्ण भावनाओं को समझना और उनका समाधान करना महत्‍वपूर्ण होता है. स्थिति को बेहतर तरीके से मैनेज करने का संपूर्ण तरीका अपनाने के रास्‍ते निकालना मायने रखता है. कंटिन्‍यूअस ग्‍लूकोज मॉनिटरिंग डिवाइसेस जैसी टेक्‍नोलॉजी व्‍यक्ति के ब्‍लड शुगर का बढ़ना या घटना वास्‍तविक समय में बताती है. इसके अलावा, आहार एवं व्‍यायाम से स्‍वस्‍थ जीवनशैली को अपनाकर इस स्थिति में मदद ली जा सकती है.”

डायबिटीज के साथ जीने की चुनौतियों का सामना करने के तरीके:

समस्‍या को समझना: स्‍वास्‍थ्‍य की किसी भी चुनौती को हल करने का पहला कदम होता है यह मानना कि कोई समस्‍या हो सकती है और फिर उसे स्‍वीकार करना चाहिये. सेहत में उतार-चढ़ाव होना सामान्‍य है, लेकिन लगातार तनाव और चिंता करना डायबिटीज डिस्‍ट्रेस का संकेत हो सकता है. बेहतर अनुभव के लिये इन संकेतों और पैटर्न्‍स को समझने से शुरूआत करें. अपनी भावनाओं और शरीर पर ध्‍यान दें, ताकि आपको अपने लिये जरूरी सहयोग का पता चल सके. इसके अलावा, सेंटर ऑफ डिसीज कंट्रोल एण्‍ड प्रीवेंशन के अनुसार, डायबिटीज के मरीजों को अवसाद होने की संभावना अधिक होती है. यदि आपको अवसाद के लक्षणों का संदेह है, तो डॉक्‍टर से जल्‍दी ही बात करें.

उपचार की योजना तैयार करना: अपने डायबिटीज और उससे होने वाले संघर्षों के बारे में खुलकर बात करना सही देखभाल पाने के लिये महत्‍वपूर्ण होता है. स्‍वास्‍थ्‍य की समस्‍या को संभालने में अकेलेपन का अनुभव हो सकता है, क्‍योंकि अपने लिये बदलाव आप ही को करने पड़ते हैं. अपनी भावनाओं के बारे में परिवार के लोगों से बात करें और उन्‍हें बताएं कि आपको कैसा सहयोग चाहिये. अपने डॉक्‍टर के साथ ईमानदारी से चर्चा करें कि आपकी शारीरिक और मानसिक सेहत पर किन-किन चीजों का असर होता है. इससे आपके डायबिटीज को मैनेज करने की निजी योजना बनाने में मदद मिलेगी, जैसे कि दवाएं और सहयोगी समूह. रोजाना के मैनेजमेंट में टेक्‍नोलॉजी भी बड़ी मददगार हो सकती है. फ्रीस्‍टाइल लिबरे जैसे कंटिन्‍यूअस ग्‍लूकोज मॉनिटर्स (सीजीएम) आपको जरूरी जानकारी दे सकते हैं और अपनी सेहत संभालने के लिये आपको सशक्‍त कर सकते हैं. बिना सुई वाले और दर्द से रहित‍ यह मॉनिटर्स हर वक्‍त आपके ब्‍लड शुगर लेवल्‍स की जाँच करते हैं. यह आपके डॉक्‍टर को सही स्थिति बताते हैं, ताकि वे अधिक प्रभावी तरीके से आपका उपचार व्‍यवस्थित कर सकें.

जरूरी चीजों पर ध्‍यान देना: बेहतर एहसास के लिये संतुलन पाना महत्‍वपूर्ण होता है. पता कीजिये कि कौन-सी गतिविधियाँ और हेल्‍थ से जुड़े गोल्‍स आपके लिये सबसे ज्‍यादा मायने रखते हैं. ऐसा करने से लंबे वक्‍त तक डायबिटीज और अपनी सेहत को मैनेज करना आपके लिये ज्‍यादा आसान होगा. टेक्‍नोलॉजी इसमें बड़ी मदद कर सकती है! ट्रैकर्स जैसे टूल्‍स महत्‍वपूर्ण चीजों की निगरानी कर सकते हैं, जैसे कि ब्‍लड शुगर लेवल्‍स. यह बिना अतिरिक्‍त मेहनत किये आपके रुटीन में आसानी से फिट हो जाते हैं. खुद पर दया करना न भूलें. रोजाना की जिन्‍दगी के साथ किसी पुरानी बीमारी का संतुलन कठिन होता है और इसका मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य पर असर हो सकता है. अपनी पसंद की गतिविधियों के लिये समय निकालें, जैसे कि घूमना-फिरना, बागबानी के शौक को पूरा करना, किताबे पढ़ना. ऐसी चीजें, जो आपको बताएं कि जिन्‍दगी में बीमारी के अलावा भी बहुत कुछ है. सबसे ज्‍यादा क्‍या महत्‍वपूर्ण है, उस पर ध्‍यान देकर और बाकी चीजों से ध्‍यान हटाकर आप अपनी जिन्‍दगी को ज्‍यादा सेहतमंद और खुशहाल बना सकते हैं.

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