कैसे ‘ऑपरेशन दोस्त’ के जरिए भूकंप प्रभावित तुर्किये-सीरिया की मदद कर रहा भारत?
सोमवार 6 फरवरी को पश्चिमी एशियाई देशों तुर्किये (जून 2022 में तुर्की से बदलकर तुर्किये किया गया) और सीरिया में रिक्टर पैमाने पर 7.8 तीव्रता के भूकंप ने तबाही का जो कहर बरपाया उसमें अब तक दोनों देशों में 15 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.
सोमवार 6 फरवरी को पश्चिमी एशियाई देशों तुर्किये (जून 2022 में तुर्की से बदलकर तुर्किये किया गया) और सीरिया में रिक्टर पैमाने पर 7.8 तीव्रता के भूकंप ने तबाही का जो कहर बरपाया उसमें अब तक दोनों देशों में 15 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.
द गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारियों ने दो भूकंपों के बाद तुर्किये में 12,391 लोगों के मारे जाने की पुष्टि की है. सीरियाई अधिकारियों और विद्रोहियों के कब्जे वाले उत्तर-पश्चिम सीरिया में एक रेस्क्यू ग्रुप के अनुसार, वहां मरने वालों की संख्या 2,992 तक पहुंच गई है, जिससे संयुक्त रूप से मृतकों की संख्या 15,383 हो गई है.
विशेषज्ञों ने भविष्यवाणी की है कि दोनों देशों में मरने वालों की संख्या में और वृद्धि होगी. यह संख्या शायद दोगुने से भी अधिक हो सकती है. इसका कारण है कि दोनों ही देशों में हजारों घर और इमारतें पूरी तरह से ढह चुकी हैं. सबसे दर्दनाक बात यह है कि कई शहरों में सैकड़ों ऐसी इमारते भी ढह गईं, जिनमें सुबह के पहले भूकंप के दौरान बचे लोग सो रहे थे.
दोनों देशों में 2.3 करोड़ लोग प्रभावित
वहीं, इस विनाशकारी भूकंप के झटके कारण लाखों लोग बेघर और असहाय हो चुके हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अनुमान जताया है कि 2.3 करोड़ लोग प्रभावित हुए हैं. अधिकारियों ने कहा है कि तुर्किये में लगभग 1.35 करोड़ लोग प्रभावित हुए हैं. डब्ल्यूएचओ के प्रतिनिधि बतिर बेर्दिक्लेचेव ने कहा कि 53,000 से अधिक लोग घायल हुए हैं.
व्हाइट हेलमेट्स रेस्क्यू ग्रु के मोहम्मद शिबली ने अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि प्रत्येक ढही हुई इमारत के नीचे 400 से 500 लोग फंसे हुए हैं, केवल 10 राहतकर्मी उन्हें बाहर निकालने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि कोई मशीनरी नहीं है.
भूकंप प्रभावित क्षेत्र
अनातोलियन और अरब प्लेटों के बीच 100 किमी (62 मील) से अधिक जमीन को तोड़ने वाले इस भूकंप को लेकर भूकंपविज्ञानियों का मानना है कि यह इस दशक का सबसे भयावह और घातक भूकंप बन सकता है. भूकंप का केंद्र पूर्वी अनातोलियन फॉल्ट पर लगभग 18 किमी की गहराई पर तुर्किये के शहर नूरदगी से लगभग 26 किमी पूर्व में था. भूकंप उत्तर पूर्व की ओर आगे बढ़ा, जिससे मध्य तुर्किये और सीरिया में तबाही मच गई.
सोमवार का भूकंप तुर्किये में 1939 के बाद से सबसे बड़ा भूकंर है. 1939 में पूर्वी एरजिनकन प्रांत में आए भूकंप में 33,000 लोग मारे गए थे. अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के अनुसार, पश्चिम एशियाई क्षेत्र में 1970 के बाद से केवल तीन भूकंप रिक्टर पैमाने पर 6.0 से ऊपर दर्ज किए गए हैं. लेकिन 1822 में, इस क्षेत्र में 7.0 की तीव्रता का भूकंप आया, जिसमें अनुमानित 20,000 लोग मारे गए थे.
दुनियाभर से भेजी जा रही मदद
WHO ने बुधवार को घोषणा की कि वह दोनों देशों में अपनी सहायता को को-ऑर्डिनेट करने के लिए एक उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भेज रहा है. इसके साथ ही चिकित्सा आपूर्ति के साथ तीन उड़ानें भेज रहा है, जिनमें से एक पहले से ही इस्तांबुल के रास्ते में है.
कई देशों ने अब तक सहायता का वादा किया है, और अंतरराष्ट्रीय बचाव दलों का आना शुरू हो गया है. हालांकि, प्रभावित क्षेत्रों में उन लोगों के लिए जल्द से जल्द मदद नहीं पहुंच सकती थी. अमेरिका और ब्रिटेन समेत कई देश भूकंप से बचे लोगों की खोज में मदद करने के लिए तुर्किये को राहत सामग्री तथा खोज और बचाव विशेषज्ञ भेज रहे हैं.
सीरिया द्वारा बुधवार को आधिकारिक तौर पर सहायता का अनुरोध किए जाने के बाद, यूरोपीय संघ ने बुधवार को पुष्टि की कि वह फिलहाल पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों का सामना कर रहे सीरिया को 31 करोड़ रुपये की सहायता भेजेगा. यूरोपीय संघ तुर्किये को प्रारंभिक तौर पर करीब 30 करोड़ रुपये की सहायता भेज रहा है.
भारत ने चलाया 'ऑपरेशन दोस्त'
भूकंप के बाद तुर्किये और सीरिया की मदद करने वाले कई देशों में भारत भी शामिल है. भूकंप से प्रभावित लोगों की मदद करने के प्रयास में, भारत सरकार बड़े पैमाने पर मानवीय सहायता के रूप में दोनों देशों के लिए दोस्ती का हाथ बढ़ा रही है, जिसमें कई जेट राहत सामग्री लेकर दोनों देशों के लिए उड़ान भर रहे हैं.
भारतीय सेना के सहयोग से, सरकार ने ऑपरेशन दोस्त के हिस्से के रूप में सीरिया और तुर्किये दोनों को राहत सामग्री भेजी है. बता दें कि, ऑपरेशन दोस्त भारत सरकार द्वारा भूकंप प्रभावित देशों के जरूरतमंद लोगों की सहायता के लिए एक कार्यक्रम है.
तुर्किये के राजदूत फिरात सुनेल ने बताया कि ऑपरेशन का नाम ऑपरेशन दोस्त क्यों रखा गया है. उन्होंने ट्वीट किया, 'दोस्त' तुर्किये और हिंदी में एक आम शब्द है... हमारे पास एक तुर्किये कहावत है: 'दोस्त करा आंदे बेली ओलुर' (ज़रूरत में काम आने वाला दोस्त ही दोस्त होता है). भारत, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.'
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ट्वीट किया, ‘‘ऑपरेशन दोस्त के तहत भारत तुर्किये और सीरिया में तलाश एवं राहत दल, एक फील्ड अस्पताल, सामग्री, दवाईयां एवं उपकरण भेज रहा है. यह एक सतत अभियान है और हम अपडेटेड सूचना उपलब्ध कराते रहेंगे.’’
भारत मंगलवार को चार सैन्य परिवहन विमानों में तुर्किये को राहत सामग्री, एक मोबाइल अस्पताल, विशेषज्ञ राहत एवं बचाव दल भेज चुका है. राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के महानिदेशक (डीजी)अतुल करवाल ने बुधवार को कहा कि बल के 51 कर्मियों की एक नई टीम को भूकंप प्रभावित तुर्किये भेजा जा रहा है जहां एनडीआरएफ के दो दल पहले ही बचाव कार्य शुरू कर चुके हैं.
वहीं, ड्रोन निर्माता कंपनी ‘गरुड़ एयरोस्पेस’ तुर्किये में जारी राहत एवं बचाव प्रयासों में मदद के लिए अपने ड्रोन उपलब्ध कराएगी. गरुड़ एयरोस्पेस भूकंप पीड़ितों का पता लगाने के लिए सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्रों में ‘ड्रोनी ड्रोन’ तैनात करेगा. वहीं, ‘किसान ड्रोन’ के जरिये पीड़ितों के लिए दवाओं और खाद्य पदार्थों की आपूर्ति में मदद की जाएगी.
प्रतिबंधों के बावजूद सीरिया में मदद भेज रहा भारत
भारतीय वायुसेना के सी-130जे विमान के जरिये भारत सीरिया में भी राहत सामग्री भेज चुका है. सीरिया पर अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद वहां सहायता भेजने के बारे में पूछे जाने पर, विदेश मंत्रालय के सचिव (पश्चिम) संजय वर्मा ने कहा कि भारत जी 20 के ‘एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य’ के मंत्र का पालन कर रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह की मानवीय सहायता प्रतिबंधों के दायरे में नहीं आते हैं .’’
एक भारतीय लापता, 10 फंसे, लेकिन सभी सुरक्षित
विनाशकारी भूकंप से प्रभावित तुर्किये के दूर-दराज वाले इलाकों में एक भारतीय लापता है, जबकि 10 अन्य फंसे हुए हैं, लेकिन वे सुरक्षित हैं. उन्होंने बताया कि तीन लोगों ने भारत सरकार से संपर्क किया और उन्हें सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है. उन्होंने बताया कि तुर्किये में भारतीय नागरिक अपेक्षाकृत सुरक्षित हैं. हमने तुर्किये के अदन में एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किया है.
एक अधिकारी ने बताया कि तुर्किये में करीब तीन हजार भारतीय रहते हैं जिनमें से करीब 1800 इस्तांबुल और उसके आस-पास के इलाकों में रहते हैं, जबकि 250 लोग अंकारा में रहते हैं और शेष पूरे देश में रहते हैं.
Edited by Vishal Jaiswal