कभी 'लेडी विलिंगडन पार्क’ कहलाता था लोधी गार्डन, दिल्ली की वो जगह जहां प्रकृति इतिहास से मिलती है
दिल्ली के सफदरजंग मकबरे से 1 किलोमीटर पूर्व में स्थित लोधी गार्डन 90 एकड़ के विशाल क्षेत्र को कवर करता है. जैसा की नाम से ही ज़ाहिर है, यहां के गार्डन में लोधी वंश के मकबरे तो हैं ही, साथ ही दिल्ली सल्तनत के दुसरे आखिरी वंश, सैय्यद राजवंश, के शासक मोहम्मद शाह की कब्र है. इस गार्डन में बादशाह अकबर द्वारा बनाई गई भी एक संरचना है. अंग्रेजों के आने तक यह गार्डन मूल रूप से गांव था जिसके आस-पास सैय्यद और लोदी वंश के स्मारक थे. ब्रिटिश राज के समय इस बगीचे को अंग्रेजों द्वारा 1936 में पुनर्निर्मित करवाया गया. इस तरह से, लोधी गार्डन में इतिहास के विभिन्न समय काल की संरचनाएं देखने को मिलती हैं.
वैसे तो पूरा लोधी गार्डन देखने योग्य है. लेकिन उसमे से कुछ जरुर देखे जाने वाले स्मारक और घूमने लायक जगह नीचे बताए जा रहे हैं.
मोहम्मद शाह मकबरा (Tomb of Muhammad Shah Sayyad)
सय्यद वंश एक तुर्क राजवंश था जिसने दिल्ली सल्तनत पर 1415 से 1451 तक शासन किया. मुहम्मद शाह, सय्यद वंश का तीसरा शासक था, जिसका शासन-काल 1434-44 तक रहा. मोहम्मद शाह का मकबरा यहां का सबसे पुराना मकबरा है जिसे अला-उद-दीन आलम शाह ने 1444 में बनवाया था.
लोधी गार्डन के दक्षिण-पश्चिमी भाग में स्थित मकबरा सड़क से भी दिखाई देता है. इस संरचना को आठ छोटी गुंबददार संरचनाओं या छतरियों के साथ डिज़ाइन किया गया है. अष्टकोणीय आकार के मकबरे के बीच में एक कक्ष है जो बरामदे से घिरा हुआ है. मुहम्मद शाह का मकबरा के गुम्बदों पर ताज के कमल के साथ की गई नक्काशी देखने लायक हैं.
सिकंदर लोधी का मकबरा (Tomb of Sikandar Lodhi)
इस वंश ने दिल्ली के सल्तनत पर उसके अंतिम चरण में शासन किया. इन्होंने 1451 से 1526 तक शासन किया.
बहलोल खान लोदी ने लोदी वंश को शुरू किया और दिल्ली सल्तनत पर शासन करने वाला पहला पश्तून था. उसकी मृत्यु के बाद सिकंदर लोधी शासक बना और उसकी मृत्यु के बाद इब्राहीम लोदी. इब्राहिम लोधी लोधी वंश का अंतिम शासक था. बाबर द्वारा पानीपत के युद्ध में इब्राहीम लोधी को हराए जाने के बाद ही हिंदुस्तान में मुग़ल शासन का प्रारम्भ हुआ.
लोधी गार्डन में सिकंदर लोधी का मकबरा है, जिसे इब्राहम लोधी ने 1517 में बनवाया था. सिकंदर लोदी का मकबरा लोधी गार्डन के उत्तर-पश्चिमी कोने पर स्थित है.
बड़ा गुंबद (Bada Gumbad)
बड़ा गुंबद लोदी गार्डन के मध्य भाग में स्थित है और इसमें बड़ा गुंबद, एक मस्जिद और मेहमान खाना के नाम से जाना जाने वाला मंडप शामिल है.
क्योंकि इस इमारत में कोई भी कब्र नहीं है इसलिए इसे प्रवेश द्वार माना जाता है. स्मारक का निर्माण सिकंदर लोदी के शासनकाल के दौरान किया गया था.
शीश गुंबद (Sheesh Gumbad)
बड़ा गुंबद के सामने शीश गुंबद है. इसे शीश गुंबद इसलिए कहा जाता है क्योंकि गुंबद और आगे के हिस्से कभी रंगीन चमकदार टाइलों से ढंके हुए थे. यह कई अज्ञात कब्रों का घर है. कुछ इतिहासकारों का मत है कि पहले लोधी सम्राट बहलोल की कब्र यहीं है, लेकिन कुछ इतिहासकार इस दावे को सच नहीं मानते.
अथपुला (Athpula)
यहां एक खूबसूरत 16 वीं सदी का पत्थर का पुल है, जिसे अथपुला या आठ पियर ब्रिज, के नाम से जाना जाता है. सिकंदर लोधी के मकबरे के ठीक सामने स्थित यह प्यारा पुल पूरे लोधी उद्यान में सुंदरता का एक सुंदर स्पर्श जोड़ता है. 17 वीं शताब्दी में सम्राट अकबर के शासनकाल के दौरान इस पुल का निर्माण हुआ था, और दिल्ली में अकबर के शासनकाल के दौरान बची हुई कुछ इमारतों में से एक यह पुल हैभारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इस पुल को श्रेणी A स्मारक के रूप में वर्गीकृत किया है, जिससे यह आज एक संरक्षित स्मारक बन गया है.
ब्रिटिश राज
समय के साथ, इन कब्रों के आसपास के क्षेत्र गांवों में विकसित हो गये. ब्रिटिश राज के दौरान इन गावों को हटाकर बगीचे को पुनर्निर्मित करवाया. लेडी विलिंगडन, मार्किस ऑफ विलिंगडन की पत्नी, ने इस क्षेत्र को एक आकर्षक उद्यान में बदल दिया जिसका औपचारिक उद्घाटन 9 अप्रैल 1936 को किया गया. और उनके प्रयासों का सम्मान करने के लिए इसे ‘लेडी विलिंगडन पार्क’ नाम दिया गया था.
देश को आजादी मिलने के बाद इसे लोधी गार्डन का नाम दिया गया है और यह आज भी इसी नाम से जाना जाता है.