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हिमशक्ति स्टार्टअप के पहाड़ी नमक की फ्रांस, रूस, इंडोनेशिया तक भारी डिमांड

हिमशक्ति स्टार्टअप के पहाड़ी नमक की फ्रांस, रूस, इंडोनेशिया तक भारी डिमांड

Friday October 25, 2019 , 4 min Read

"उत्तराखंड की कई स्टार्टअप कंपनियां रक्तचाप, डायबिटीज की अनमोल प्राकृतिक दवाओं की फ्रांस, रूस, इंडोनेशिया तक भारी सप्लाई के साथ ही राज्य में ऑर्टिफिशियल ज्वैलरी, मसालों, कलाकृत्रियों आदि के अपने प्रॉडक्ट से मालामाल हो रहे हैं। कोई गाय के गोबर से मच्छर और छिपकलियां भगाने की धूपबत्ती तो कोई घास, जूट, पहाड़ी पौधों से तरह-तरह के प्रॉडक्शन कर रहा है।" 

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सांकेतिक फोटो

पिछले दिनो काशीपुर के आईआईएम में लगे एक स्टार्टअप मेले में देहरादून के हर्षित सहदेव ने बताया कि ब्लड प्रेसर रोधी पहाड़ी नमक हिमशक्ति का वह विदेशों में भारी मात्रा में सप्लाई कर रहे हैं। वह इसके बारे में वर्षों तक सोशल मीडिया पर लिखते रहे। महाशक्ति नमक की ऑनलाइन जानकारी मिलने पर फ्रांस से क्लोय एंडो नाम की युवती देहरादून पहुंची और दिदसारी का दस हजार रुपये का सैंपल खरीद कर ले गई। उसके बाद वहां के एक कॉरपोरेट हाउस को यह गुणकारी उत्पाद पसंद आ गया। इसके बाद हर्षित पिछले साल देहरादून में हिमशक्ति नाम से अपनी स्टार्टअप कंपनी लांच कर वेबसाइट पर इस उत्पाद का प्रचार करने लगे।


महिलाएं बड़ी मात्रा में पैकेट तैयार कर फ्रांस की कंपनी को भेजने लगीं। अब उन्हे उत्तराखंड ही नहीं, विदेशों तक से डिमांड आने लगी है। उन्होंने जड़ी-बूटियों का ब्लड प्रेसर प्रतिरोधी एक ऐसा स्वादिष्ट नमक बनाया है, जो विदेशियों को खूब पसंद आ रहा है। वह हाल ही में उसके दो सौ पैकेट सप्लाई कर चुके हैं। रूस और इंडोनेशिया से भी इस प्रॉडक्ट की डिमांड मिली है, जिसे नैनीताल के 23 अलग-अलग गांवों में तैयार किया जा रहा है।


पिछले सात महीनों से काशीपुर (उत्तराखंड) के मुख्य बाजार स्थित अपने घर में 'राधा कलेक्शन' नाम से खुद के स्टार्टअप के साथ ही सुरभि अग्रवाल युवतियों को हस्तनिर्मित ज्वैलरी और अन्य सजावटी सामान तैयार करने के प्रशिक्षण दे रही हैं। वह व्हाट्सअप ग्रुप के माध्यम से भी अपने उत्पाद बेच रही हैं। इसी तरह अनिता अग्रवाल 'श्री विनायक' नाम से मसाला, अचार, जैम आदि  के स्टार्टअप के साथ उसकी मार्केटिंग भी खुद ही कर रही हैं। 'ख्वाहिशें' स्टार्टअप की संचालिका आयुषी नागर बच्चों को हस्तकला प्रशिक्षण देने के साथ ही तार और धागों से आर्टिफिशियल ज्वैलरी का बिजनेस कर रही हैं। 'हस्तशिल्प एक्सप्रो' की फाउंडर हिमांशी जिला उद्योग केंद्र के सहयोग से घास से तरह-तरह के सामान तैयार कर प्रदर्शनियों में बेच रही हैं।





इसी तरह हल्द्वानी की 'निर्मला सोसायटी' के रूबी भटनागर, हेमंत कुमार मोमबत्ती और जूट के उत्पाद, 'सेंटाइल बायोटेक' स्टार्टअप के पीयूष तिवारी और दीवाकर चौबे जैविक खेती के उत्पाद, काशीपुर की 'कॉस्मेटिक इंडस्ट्री' की श्रीलक्ष्मी कोकोनट के सजावटी उत्पाद, 'डीआईसी' के राहुल और रियाजुद्दीन अपने उत्पाद दक्षिण भारत से लेकर यूरोपियन देशों तक निर्यात कर रहे हैं, जिससे हर महीने उनकी कम से कम पचीस-तीस हजार की कमाई हो रही है।


उत्तराखंड के इस एक जिले में इतने तरह के स्टार्टअप्स से इस संभावना को बल मिलता है कि आने वाले वक़्त के लिए जैसे रोजी-रोजगार की एकदम नई तरह की एक चेन तेजी से यहां खड़ी हो रही है। श्री बंशी गौधाम काशीपुर के 31 वर्षीय नीरज कुमार देसी गाय के गोबर से चाबी के छल्ले, मूर्तियां, सजावटी दीये, माला, दीवारों पर लगने वाली टाइल्स, राखी, घड़ी आदि तरह तरह की कलाकृतियां बना रहे हैं। चार साल पहले वह दूध के लिए डेयरी प्लान कर रहे थे लेकिन फिर उन्होंने डेली निड्स के आइटम के बारे में विचार किया और देसी गाय के गोबर से ये प्रॉडक्ट बनाने लगे। अच्छा रिस्पोंस मिला। पहला ऑर्डर ही उन्हें तमिलनाडु से चार हजार मूर्तियां बनाने का मिला।


आज इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड में शामिल हो चुकीं उनकी कलाकृतियां उड़ीसा, तमिलनाडु, हिमाचल, राजस्थान समेत 20 राज्यों में सप्लाई हो रही हैं। उन्होंने अपने स्टार्टअप में दस लोगों को रोजगार भी दे रखा है। इसमें उनका पूरा खर्चा निकालकर करीब 40 से 50 हजार रुपये हर महीने बच जाते हैं।





काश्तकार विकास समिति कोटाबाग (नैनीताल) की अध्यक्ष माया नेगी ने एक नए तरह के स्टार्टअप की जानकारी देते हुए बताया कि वे कई तरह की जैविक सब्जियां, दाल, मसालों के साथ ही गाय का गोबर, गौ मूत्र, गाय का घी और हवन सामग्री मिलाकर एक ऐसा जैविक गौ धूप बनाकर बेच रही हैं, जिसे जलाते ही बिना धुएं की उसकी सुगंध से मच्छर और छिपकली भाग जाते हैं। यह धूपबत्ती बनाने में एक सप्ताह का समय लग जाता है। इसके प्रॉडक्शन में उनको नाबॉर्ड से भी मदद मिल रही है। 


बग्वान ग्रामोद्योग समिति की कोषाध्यक्ष रोशनी चंदेल ने बताया कि टिहरी गढ़वाल से स्टीबिया पत्ती लाकर मधुमेह पीड़ितों के लिए शुगर फ्री का प्रॉडक्शन कर रही हैं। उन्हे एक पैकेट पर 35 रुपए मिल जाते हैं। इसके साथ ही पहाड़ी औरतें अब दिदसारी पौधे से ब्लड प्रेसर के इलाज की दवा बना रही हैं, जिसके लिए अब उन्हे फ्रांस और यूएसए तक से डिमांड आने लगी है।