पैसे लुटाकर पैसे कमाना कभी सुना है? अनिल अग्रवाल की कंपनियों में डिविडेंड का खेल कुछ ऐसा ही है
अनिल अग्रवाल Volcan Investments के 100 फीसदी के मालिक है. इस कंपनी की वेदांता रिसोर्सेस में करीब 62 फीसदी हिस्सेदारी है. वेदांता रिसोर्सेस की वेदांता लिमिटेड में करीब 70 फीसदी हिस्सेदारी है. वेदांता की हिंदुस्तान जिंक में करीब 65 फीसदी हिस्सेदारी है.
हाइलाइट्स
अनिल अग्रवाल Volcan Investments के 100 फीसदी के मालिक है.
इस कंपनी की वेदांता रिसोर्सेस में करीब 62 फीसदी हिस्सेदारी है.
वेदांता रिसोर्सेस की वेदांता लिमिटेड में करीब 70 फीसदी हिस्सेदारी है.
वेदांता की हिंदुस्तान जिंक में करीब 65 फीसदी हिस्सेदारी है.
यानी यहां से जितने डिविडेंड की घोषणा होगी, उसका एक बड़ा हिस्सा अनिल अग्रवाल की ही जेब में जाएगा.
हाल ही में वेदांता (Vedanta Limited) ने इस साल में 5वीं बार अपने शेयर धारकों को तगड़ा डिविडेंड (Dividend) देने की घोषणा की. इस बार कंपनी हर शेयर पर 20.50 रुपये का डिविडेंड दे रही है. देखा जाए तो इस कंपनी ने साल भर में 101.50 रुपये का डिविडेंड बांट दिया है. वहीं अगर शेयर की कीमत की बात करें तो साल भर में शेयर कीमत 206 से 440 रुपये के बीच रही है. अभी शेयर करीब 280 रुपये का है. ऐसे में एक शेयर पर 101.50 रुपये का डिविडेंड का मतलब है कि निवेशकों को 20-30 फीसदी तक का रिटर्न डिविडेंड से ही मिल गया है. कंपनी ने अपने मुनाफे से भी ज्यादा डिविडेंड बांटा है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या कंपनी नुकसान उठाकर डिविडेंड बांट रही है? मुनाफे से ज्यादा डिविडेंड बांटने से कंपनी को क्या फायदा हो रहा है? सबसे बड़ा सवाल ये कि कर्ज में डूबे अनिल अग्रवाल (Debt on Anil Agarwal) को इससे क्या मिल रहा है?
5 बार में कितना-कितना दिया डिविडेंड?
वेदांता ने 28 मार्च को घोषणा की कि वह इस वित्त वर्ष के लिए 5वां अंतरिम डिविडेंड देगी. कंपनी प्रति शेयर 20.50 रुपये का डिविडेंड दे रही है. अगर शेयर की 1 रुपये की फेस वैल्यू के हिसाब से देखा जाए तो यह डिविडेंड करीब 2050 फीसदी का है. डिविडेंड देने में कंपनी को करीब 7621 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे. इससे पहले वेदांता इस साल 4 बार डिविडेंड दे चुकी है, जिसके तहत 12.50 रुपये, 17.50 रुपये, 19.50 रुपये और 31.50 रुपये का डिविडेंड दिया जा चुका है.
मुनाफे से ज्यादा बांटा डिविडेंड
वेदांता अपने निवेशकों को तगड़ा डिविडेंड देने के लिए जानी जाती है. पिछले साल भी इसने सबसे ज्यादा डिविडेंड बांटा था. इस साल 5 बार में 101.5 रुपये का डिविडेंड दिया है, जिससे कंपनी पर कुल बोझ 37,700 करोड़ रुपये पड़ा है. अगर पिछले साल यानी वित्त वर्ष 2022 की बात करें तो कंपनी को कुल मुनाफा 23,710 करोड़ रुपये का हुआ था. यह मुनाफा एक साल पहले के मुनाफे (15,032 करोड़ रुपये) से ज्यादा था. अगर पिछले साल के मुनाफे की तुलना में देखा जाए तो इस साल कंपनी ने उसका करीब डेढ़ गुना तो डिविडेंड में ही बांट दिया है.
कैसे कमाई से ज्यादा पैसे बांटकर भी मुनाफा कमा रहे अनिल अग्रवाल?
तगड़ा डिविडेंड दिए जाने की खबर से वेदांता के शेयरों में तगड़ी तेजी देखने को मिल रही है. यहां लोग सोच रहे हैं कि ये कंपनी निवेशकों को बहुत तगड़ा मुनाफा करवा रही है. एक तरह देखा जाए तो यह सही भी है, लेकिन क्या आपको पता है कि इस कंपनी का सबसे बड़ा निवेशक कौन है? इस कंपनी में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी है वेदांता रिसोर्सेस की, जिसके पास करीब 70 फीसदी स्टेक है. यानी इस साल सिर्फ डिविडेंड से ही वेदांता रिसोर्सेस ने 26,390 करोड़ रुपये की कमाई की है. गौर से देखिए तो पता चलेगा कि ये कमाई वेदांता लिमिटेड की पिछले पूरे साल की कमाई से भी ज्यादा है. यानी अनिल अग्रवाल ने वेदांता के मुनाफे से ज्यादा पैसा डिविडेंड के जरिए अपनी कंपनी वेदांता रिसोर्सेस में पहुंचा दिया.
कर्ज के बोझ तले दबे हुए हैं अनिल अग्रवाल
वेदांता रिसोर्सेस के मालिक अनिल अग्रवाल के ऊपर भारी भरकम कर्ज है. इस कंपनी पर कुल 7.7 अरब डॉलर यानी करीब 63,300 करोड़ रुपये के कर्ज का बोझ है. यही वजह है कि पिछले दिनों जब गौतम अडानी पर भारी-भरकम कर्ज की बातें हो रही थीं तो ये भी कहा जाने लगा था कि कहीं अगला नंबर अनिल अग्रवाल का ना हो और उनकी कंपनी के शेयर भी अडानी के शेयरों की तरह डूबने ना लगें.
कैसे चल रहा है डिविडेंड का खेल?
अनिल अग्रवाल की कंपनी का नाम है Volcan Investments, जिसकी 100 फीसदी हिस्सेदारी उन्हीं के पास है. इस कंपनी की वेदांता रिसोर्सेस में करीब 62 फीसदी की हिस्सेदारी है. वेदांता रिसोर्सेस की वेदांता लिमिटेड में करीब 70 फीसदी की हिस्सेदारी है. वहीं वेदांता के पास हिंदुस्तान जिंक में करीब 65 फीसदी की हिस्सेदारी है. डिविडेंड का खेला हिंदुस्तान जिंक से शुरू होता है, जो एक प्रॉफिटेबल कंपनी है. ये कंपनी जितना भी डिविडेंड देती है, उसका 65 फीसदी वेदांता लिमिटेड को मिलता है. वहां से कंपनी डिविडेंड देती है और उसका करीब 70 फीसदी वेदांता रिसोर्सेस को मिलता है. वहीं वेदांता रिसोर्सेस में Volcan Investments की 62 फीसदी हिस्सेदारी है, तो ये पैसे अनिल अग्रवाल की ही जेब में चला जाता है. वहीं इस पूरे खेल में तमाम कंपनियों के निवेशकों को दिखता है कि खूब सारा डिविडेंड मिल रहा है, जिससे तमाम कंपनियों के शेयरों में बढ़त देखने को मिलती है.
हाल ही में हिंदुस्तान जिंक ने दिया था डिविडेंड
अभी कुछ दिन पहले ही हिंदुस्तान जिंक ने 26 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से डिविडेंड की घोषणा की थी. इस साल कंपनी की तरफ से ये चौथी बार डिविडेंड का ऐलान किया गया है. इस पर कंपनी के 10,986 करोड़ रुपये खर्च होंगे. पूरे साल में कंपनी ने चार बार में कुल 75.5 रुपये प्रति शेयर का डिविडेंड दिया है. दिसंबर 2023 में कंपनी के पास करीब 11,378 करोड़ रुपये का कैश था. यानी डिविडेंड देने के बाद कंपनी के पास का सारा कैश लगभग खत्म हो जाएगा. इस बार के डिविडेंड से वेदांता लिमिटेड को करीब 7,132 करोड़ रुपये डिविडेंड से मिल जाएंगे. पूरे साल में हिंदुस्तान जिंक से डिविडेंड के जरिए वेदांता लिमिटेड को करीब 20,710.8 करोड़ रुपये का डिविडेंड मिला है.
क्रिसिल ने वेदांता की रेटिंग घटाई
29 मार्च, बुधवार को ही क्रिसिल रेटिंग्स ने वेदांता की रेटिंग को स्टेबल से निगेटिव कर दिया है. यह इसलिए किया गया है क्योंकि कंपनी का कैश आउटफ्लो बहुत ज्यादा है. ये सब हो रहा है भारी भरकम डिविडेंड देने की वजह से. क्रिसिल ने यह भी कहा है वेदांता रिसोर्सेस पर भारी कर्ज है, ऐसे में वह वेदांता लिमिटेड से मिलने वाले डिविडेंड पर बहुत ज्यादा निर्भर है. देखा जाए तो हिंदुस्तान जिंक और वेदांता लिमिटेड की तरफ से दिए गए डिविडेंड्स का सबसे बड़ा मकसद तो वेदांता रिसोर्सेस की मदद करना लग रहा है.