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छोटे व्यवसाय से हुई थी शुरुआत, आज हैं विश्व स्तर पर तारों और केबल्स के अग्रणी निर्माता, जानें क्या है RR Kabel की कहानी

छोटे व्यवसाय से हुई थी शुरुआत, आज हैं विश्व स्तर पर तारों और केबल्स के अग्रणी निर्माता, जानें क्या है RR Kabel की कहानी

Tuesday November 23, 2021 , 5 min Read

आज भारत में तार और केबल व्यवसाय में अग्रणी ब्रांड के तौर पर पहचाने जाने वाले RR Kabel को अपने शुरुआती दिनों में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। इसकी शुरुआत 90 के दशक में रामेश्वरलाल काबरा ने दिल्ली में तारों और केबलों के एक छोटे व्यवसाय के रूप में की थी, लेकिन उनके शुरुआती दिनों में ही उनके कार्यालय में भीषण आग लग गई थी।


सौभाग्य से उस दुर्घटना में ज्यादा नुकसान नहीं हुआ, लेकिन रामेश्वरलाल को तारों से जुड़ी सुरक्षा के बारे में सोचने के लिए मजबूर होना पड़ा।


रामेश्वरलाल के बेटे श्रीगोपाल काबरा दूसरी पीढ़ी के उद्यमी हैं और आरआर ग्लोबल के प्रबंध निदेशक और ग्रुप प्रेसिडेंट हैं। योरस्टोरी के साथ हुई बातचीत में उन्होने बताया, "मेरे पिता ने महसूस किया कि तार और केबल उद्योग में सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए और हमें सुरक्षित तारों को बाजार में लाना चाहिए।" 


रामेश्वरलाल ने उस भयानक घटना से सबक लिया और इससे उन्हे सुरक्षित तार और केबल बनाने की प्रेरणा मिली। इस प्रकार आरआर केबल (RR Kabel) की यात्रा शुरू हुई, जिसे अब आरआर ग्लोबल के नाम से जाना जाता है। यह बिजली क्षेत्र में 850 मिलियन डॉलर से अधिक का समूह है जिसकी वैश्विक स्तर पर 85 से अधिक देशों में उपस्थिति है।

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आरआर केबल्स

ट्रेडिंग से मैन्युफैक्चरिंग तक

इसकी शुरुआत करने के लिए रामेश्वरलाल ने व्यापक बाजार पर रिसर्च की और भारत में गुणवत्ता वाले तारों के निर्माण के लिए आवश्यक अंतरराष्ट्रीय टेक्नालजी और मशीनरी का भी अध्ययन किया।


श्रीगोपाल कहते हैं, "तब तक बाजार में हलोजन फ्री फ्लेम रिटार्डेंट और यूनीले वायर के कॉन्सेप्ट को पेश किया जा चुका था और यह हमारी कंपनी के दृष्टिकोण के अनुरूप था। इस विकास के कारण हम भारत में जल्दी से जर्मन तकनीक लाने में सक्षम रहे और इस तरह हमने 1995 में अपने तारों और केबलों का कारोबार शुरू किया।”


आरआर ग्लोबल के पास अब मुख्य रूप से रियल एस्टेट क्षेत्र के ग्राहक हैं, जिसमें एचएनआई, आईटी कंपनियां, बैंक और कॉर्पोरेट कंपनियां भी शामिल हैं। निर्यात के साथ हुई शुरुआत के चलते आरआर केबल अब सिलवासा और वाघोडिया में स्थित अपनी मैनुफेक्चुरिंग यूनिटों के साथ भारत में सबसे बड़े केबल निर्यातकों में से एक बन गया है।


आज आरआर केबल के राजस्व का 23 प्रतिशत निर्यात से आता है और बचा हुआ घरेलू बिक्री से आता है। साठ प्रतिशत औद्योगिक और विशेष परियोजनाओं के लिए संस्थागत खरीदारों से आता है और खुदरा ग्राहकों से 40 प्रतिशत का राजस्व आता है। कंपनी का दावा है कि उसके पास भारत में संगठित बाजार का 12 प्रतिशत हिस्सा है और लगभग 45 प्रतिशत अभी भी असंगठित है। आरआर केबल अगले कुछ वर्षों में 15-16 प्रतिशत की बाजार हिस्सेदारी का लक्ष्य बना रहा है।


आवासीय और व्यावसायिक संपत्तियों के अलावा, ये इनकी केबल सभागारों, अस्पतालों, होटलों, स्कूलों, स्टेडियमों और सार्वजनिक उपयोग के लिए सभी निर्माणों के लिए सबसे उपयुक्त हैं। ये केबल ऐसे वातावरण में उपयोग के लिए आदर्श हैं जहां हाई-परफॉर्मेंस, विश्वसनीयता और सुरक्षा आवश्यक है।


इन वर्षों में आरआर ग्लोबल ने अपने उत्पाद पोर्टफोलियो का विस्तार किया है और अब छोटे उपभोक्ता उपकरणों का निर्माण भी किया है

चुनौतियां और प्रतिस्पर्धा

श्रीगोपाल के अनुसार कंपनी के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक तार और केबल पर ग्राहकों का कम ध्यान है क्योंकि ये उत्पाद दीवारों के पीछे छिप जाते हैं और इसलिए उन्हें उनकी उचित प्राथमिकता नहीं दी जाती है।


श्रीगोपाल कहते हैं, “बिजली ठेकेदार आमतौर पर कम लागत और घटिया केबल के लिए समझौता करते हैं, जो गंभीर सुरक्षा खतरे पैदा करता है। भारत में अधिकांश आग दुर्घटनाएं बिजली के शॉर्ट सर्किट के कारण होती हैं, जो मुख्य रूप से खराब गुणवत्ता वाले तारों और केबलों के कारण होती हैं। हमें सस्ते उत्पादों का उपयोग करने के बजाय गुणवत्ता पर अधिक निवेश करने की आवश्यकता है।”


पॉलीकैब, केईआई वायर और अन्य के साथ प्रतिस्पर्धा करते हुए आरआर केबल के पास तांबे के तारों के लिए 3,600 मीट्रिक टन और एल्यूमीनियम तारों के लिए 1,260 मीट्रिक टन की उत्पादन क्षमता के साथ 29 अंतर्राष्ट्रीय प्रमाणपत्र हैं।


कच्चे माल के आयात के बारे में बात करते हुए श्रीगोपाल कहते हैं कि तांबे जैसे कुछ को छोड़कर अधिकांश उत्पाद स्थानीय रूप से जुटाये जाते हैं।

हाल ही में स्टराइल कॉपर यूनिट के बंद होने और भारत के कॉपर-गरीब से कॉपर-अमीर होने के बारे में खबर सामने आने के बाद श्रीगोपाल ने टिप्पणी की कि भारत बहुत सारे तांबे का आयात करता था। भारत तांबे का सबसे बड़ा उपयोगकर्ता है।


उनका कहना है कि दुनिया भर में तांबे की कुल खपत 22 मिलियन टन है और भारत के लिए यह 15 लाख टन है। भारत लगभग 50-60 प्रतिशत का निर्माण, उपयोग और निर्यात करता है।

आगे का रास्ता 

भविष्य की योजनाओं के बारे में बात करते हुए श्रीगोपाल का कहना है कि कंपनी अपने उत्पाद लाइन में विस्तार की योजना बना रही है और अपने उत्पादों की मौजूदा श्रृंखला को मजबूत करने और बढ़ाने के लिए तैयार है।


आरआर ग्लोबल कुछ कंपनियों का अधिग्रहण करने पर भी विचार कर रही है जो पोर्टफोलियो को और बढ़ाने के लिए उपभोक्ता श्रेणी में हैं।


Edited by Ranjana Tripathi