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बचपन में हुआ फैशन से प्यार; खड़ी कर दी 120 करोड़ रुपये की कंपनी

House of Fett की स्थापना 2018 में ईशा भांबरी और अभिनव गुप्ता ने मिलकर की थी. ईशा ने NIFT दिल्ली और लंदन कॉलेज ऑफ फैशन से पढ़ाई की है. ईशा को बचपन में ही फैशन से प्यार हो गया था, क्योंकि वह अपनी मां के बुटीक के इर्द-गिर्द पली-बढ़ीं, जो घर में ही था. आज House of Fett की मार्केट वैल्यू 120 करोड़ रु है.

भारत में फैशन इंडस्ट्री तेजी से विकसित हो रही है, और इसी के साथ महिलाओं के लिए प्रीमियम लक्ज़री वियर ब्रांड्स की मांग भी बढ़ रही है. आज की महिलाएं न सिर्फ स्टाइलिश दिखना चाहती हैं, बल्कि उनके कपड़े आरामदायक और क्वालिटी में बेहतरीन भी होने चाहिए. इसी जरूरत को पूरा करने के लिए कई भारतीय प्रीमियम वूमेन्स वियर ब्रांड्स उभरे हैं, जो अपने अनूठे डिजाइन्स और एक्सक्लूसिव कलेक्शंस से फैशन इंडस्ट्री में छाए हुए हैं.

ऐसा ही एक खास और प्रीमियम फैशन ब्रांड है House of Fett (हाउस ऑफ़ फेट, जो अपने अनूठे डिज़ाइन्स, बेहतरीन क्वालिटी और इनोवेटिव स्टाइल के लिए मशहूर है.

हाउस ऑफ़ फेट भारत का एक उभरता हुआ प्रीमियम वूमेन्स वियर ब्रांड है, जो मॉडर्न और बोहेमियन स्टाइल का बेहतरीन कलेक्शन पेश करता है. इसका कलेक्शन खासतौर पर उन महिलाओं के लिए डिजाइन किया गया है, जो स्टाइलिश दिखने के साथ ही आरामदायक कपड़ों को प्राथमिकता देती हैं. फ्लोई ड्रेसेस, को-ऑर्ड सेट्स और कंटेम्पररी डिजाइन्स हाउस ऑफ़ फेट की पहचान हैं.

House of Fett की स्थापना 2018 में ईशा भांबरी (को-फाउंडर और क्रिएटिव डायरेक्टर) और अभिनव गुप्ता (फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर) ने मिलकर की थी. ईशा ने NIFT दिल्ली से ग्रेजुएशन और लंदन कॉलेज ऑफ फैशन से पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री ली है. ईशा को बचपन में ही फैशन से प्यार हो गया था, क्योंकि वह अपनी मां के बुटीक के इर्द-गिर्द पली-बढ़ीं, जो घर में ही था. जबकि अभिनव गुप्ता के पास एमिटी यूनिवर्सिटी और IMT गाजियाबाद से क्रमशः बीबीए और एमबीए की डिग्री है, और उन्हें मार्केटिंग और बिजनेस स्ट्रैटेजी में तगड़ा अनुभव है. एक स्टोर से शुरु हुए इस ब्रांड की आज मार्केट वैल्यू 120 करोड़ रुपये है और देशभर में इसके 15 प्रीमियम स्टोर हैं.

हाल ही में YourStory ने ईशा और अभिनव से बात की, जहां उन्होंने House of Fett की शुरुआत, बिजनेस मॉडल, रेवेन्यू, चुनौतियों और भविष्य की योजनाओं के बारे में बताया.

फाउंडर, ईशा और अभिनव, बताते हैं, “हाउस ऑफ़ फेट एक ऐसा ब्रांड है जो आधुनिक महिलाओं के लिए स्टाइलिश, एलीगेंट और ट्रेंडी कपड़े डिजाइन करता है. इसका कलेक्शन ग्लोबल फैशन ट्रेंड्स से प्रेरित होते हुए भी भारतीय ग्राहकों की पसंद और जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाया जाता है. ब्रांड डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर (D2C) और प्रीमियम रिटेल मॉडल पर काम करता है. देशभर में इसके 15 प्रीमियम स्टोर हैं. अपने खुद के ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म के अलावा House of Fett दूसरे ऑनलाइन मार्केटप्लेस और लक्ज़री फैशन प्लेटफ़ॉर्म्स के जरिए अपने प्रोडक्ट बेचता है.”

वे आगे बताते हैं, “हमने शुरू से ही हाउस ऑफ फेट को बूटस्ट्रैप (बिना किसी बाहरी फंडिंग के) किया है. हमने व्यक्तिगत बचत का निवेश किया है और मुनाफे को फिर से इस बिजनेस में लगाया है. कंपनी की शुरुआत 2,00,000 रुपये के निवेश से हुई थी. वर्तमान में, इसका रेवेन्यू ₹24-26 करोड़ रुपये है और हमारी विस्तार रणनीति के साथ, हमारा लक्ष्य अगले वित्तीय वर्ष (FY25-26) में ₹45 - ₹50 करोड़ का रेवेन्यू हासिल करना है. इस तरह साल-दर-साल 66% की वृद्धि हुई है. हमने ऑनलाइन और ऑफलाइन चैनलों के जरिए 200,000 से अधिक ग्राहकों को सेवाएं दी है और हम 30% वार्षिक दर से बढ़ रहे हैं.“

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House of Fett का स्टोर

इस बिजनेस को खड़ा करने में आपको किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा? इस सवाल के जवाब में ईशा बतातीं हैं, “बिजनेस खड़ा करना शुरू से ही चुनौतियों से भरा रहा है. चूँकि यह एक स्टार्टअप था जिसे अभिनव और मैंने बहुत सीमित संसाधनों के साथ शुरू किया था, इसलिए पूरी फाउंडेशन का निर्माण हमारे ऊपर था. हमें सिस्टम तैयार करने थे, ऐसे लोगों को हायर करना था जो उन सिस्टम को समझ सकें और उन्हें लागू कर सकें, और हर डिपार्टमेंट के लिए SOP और कंपलायंस स्ट्रक्चर तैयार करना था - जिसमें डिज़ाइन, प्रोडक्शन, रिटेल, ई-कॉमर्स, डिजिटल मार्केटिंग, लॉजिस्टिक्स, वेयरहाउसिंग, अकाउंटिंग शामिल हैं. यह एक समय लेने वाली प्रक्रिया रही है, जिसमें लॉन्ग-टर्म स्केलेबिलिटी और एफिशिएंसी सुनिश्चित करने के लिए सावधानीपूर्वक प्लानिंग, एग्जीक्यूशन और अनुकूलनशीलता की आवश्यकता थी.“

वे आगे बतातीं हैं, “एक युवा, स्वतंत्र ब्रांड के रूप में प्रतिस्पर्धी फैशन उद्योग में कदम रखना चुनौतीपूर्ण था. दूसरी चुनौती रणनीतिक रूप से हमारी रिटेल उपस्थिति का विस्तार करना था. प्रीमियम डिज़ाइन को किफ़ायती कीमत के साथ संतुलित करना भी महत्वपूर्ण था. हम चाहते थे कि हाउस ऑफ़ फ़ेट रनवे से प्रेरित डिज़ाइन को किफ़ायती कीमतों पर पेश करे, जिसके लिए सावधानीपूर्वक उत्पादन योजना की आवश्यकता थी. इन चुनौतियों के बावजूद, निरंतर नवाचार, ग्राहक वफ़ादारी और एक मजबूत ब्रांड पहचान पर हमारे ध्यान ने हमें इन बाधाओं को दूर करने और लगातार बढ़ने में मदद की है.“

ईशा बतातीं हैं, “हमारी यात्रा चुनौतियों, सीखने और विकास का एक रोलरकोस्टर रही है. अपने ग्राहकों से मिले पूरे विश्वास और प्यार के साथ, हमने अपने पूरे मुनाफे को फिर से इस बिजनेस में लगा दिया और तीन रिटेल स्टोर खोले. और फिर COVID-19 ने दस्तक दी, और सब कुछ बंद हो गया. हमारी ऑनलाइन मौजूदगी नहीं थी, ओवरहेड खर्च बढ़ रहे थे, और बिक्री ज़ीरो थी. पैसे नहीं बचे थे और क्रेडिट कार्ड पर केवल ₹30,000 बचे थे. ऐसे में हमारे पास एकमात्र विकल्प अपनी खुद की वेबसाइट बनाना था.“

वे आगे बतातीं हैं, “पहले लॉकडाउन के दौरान, जब दूसरे लोग डालगोना कॉफी बना रहे थे, अभिनव ऑनलाइन ट्यूटोरियल देखकर Shopify पर एक वेबसाइट बना रहा था. मुझे अभी भी याद है कि Shopify के लिए पेमेंट करने और वेबसाइट शुरु करने के लिए हमने अपने क्रेडिट कार्ड से आखिरी ₹28,000 खर्च किए थे. एक बार जब वेबसाइट शुरु हो गई, तो मैंने ऑर्डर लेने के लिए व्यक्तिगत रूप से WhatsApp और फ़ोन कॉल के ज़रिए अपने रिटेल ग्राहकों से संपर्क करना शुरू कर दिया. हमें आश्चर्य हुआ कि लोग लोकल बिजनेस का समर्थन करने के लिए उत्सुक थे, और डिलीवरी की अनुमति मिलने के बाद हम अपने बंद स्टोर से ऑनलाइन ऑर्डर पूरा करके अपना अस्तित्व बनाए रखने में कामयाब रहे. इस छोटे से कदम ने हमें कैश फ्लो फिर से हासिल करने और ऑनलाइन बिक्री के माध्यम से अपने बिजनेस को फिर से शुरू करने में मदद की.“

House of Fett को लेकर अपनी भविष्य की योजनाओं का खुलासा करते हुए, ईशा और अभिनव बताते हैं, “निकट भविष्य में ब्रांड के रिटेल स्टोर की कुल संख्या 25 हो जाएगी. इसके साथ ही अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कदम रखते हुए हम मध्य पूर्व और दक्षिण पूर्व एशिया में कारोबार विस्तार की योजना बना रहें हैं. स्लीपवियर और मेन्सवियर में नई प्रोडक्ट लाइनें लॉन्च करने की भी हमारी योजना है. इसके अलावा, बेहतर ग्राहक अनुभव और AI-ड्रिवन रिकमेंडेशंस के साथ हमारे ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म का विस्तार करना है.“

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