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ऊर्जा संरक्षण संशोधन विधेयक लोकसभा में पारित, जानिए इसका पावर सेक्टर पर कितना असर पड़ेगा

केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने इसे भविष्य का विधेयक बताते हुए कहा कि, "दुनिया तेजी से बदल रही है और ऐसे में हर देश को यह समझ आ गया है कि उन्हें ऊर्जा संरक्षण की दिशा में कदम उठाना होगा."

ऊर्जा संरक्षण संशोधन विधेयक लोकसभा में पारित, जानिए इसका पावर सेक्टर पर कितना असर पड़ेगा

Wednesday August 10, 2022 , 3 min Read

लोकसभा में बुधवार को ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) विधेयक (Energy Conservation Bill), 2022 पेश किया गया. बिजली वितरण क्षेत्र में बदलाव करने, हरित हाइड्रोजन, हरित अमोनिया, बायोमास और इथेनॉल सहित गैर-जीवाश्म स्रोतों के उपयोग, और स्वच्छ पर्यावरण के लिए वैश्विक दायित्वों को पूरा करने वाले ‘ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) विधेयक 2022’ को सोमवार को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया.


यह बिल एनर्जी कंजर्वेशन एक्ट, 2001 का संशोधन है, जो साल 2010 में भी संशोधित हो चुका है.

केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने इसे भविष्य का विधेयक बताते हुए कहा कि, "दुनिया तेजी से बदल रही है और ऐसे में हर देश को यह समझ आ गया है कि उन्हें ऊर्जा संरक्षण की दिशा में कदम उठाना होगा." हालांकि, ऊर्जा मंत्री ने अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में देश की उपलब्धियों पर पर गर्व महसूस करने की बात भी की और कहा "देश ने जो कुछ हासिल किया है, वैसा बड़ी अर्थव्यवस्थाएं और विकसित देश नहीं कर पाए हैं."

केंद्रीय मंत्री ने इस बिल पर अपनी बात रखते हुए यूरोपीय संघ के कार्बन कर लगाने की पहल का भी जिक्र किया, देश में कार्बन ट्रेडिंग को बढ़ावा देने और भारतीय अर्थव्यवस्था को डी-कर्बोनाइज़ करने की दिशा में पहल करने पर जोर दिया. साथ ही साथ इन तैयारियों को सुनिश्चित करने के लिए कानूनी तैयारियां और स्टेकहोल्डर्स को उनकी कोशिश और योगदान के लिए प्रोत्साहित करने का भी फैसला लिया है.

इस विधेयक में कम से कम 100 किलोवाट के विद्युत कनेक्शन वाली इमारतों के लिये नवीकरणीय स्रोत से ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने का प्रावधान किया गया है.

बड़ी आवासीय इमारतें 24 प्रतिशत बिजली का उपभोग करती हैं और इस विधेयक में ऐसी इमारतों को अधिक ऊर्जा सक्षम एवं वहनीय बनाने का प्रावधान किया गया है.


पेरिस में हुए संयुक्त राष्ट्र के अंतरराष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (कॉप 21) में भारत ने 2030 तक कार्बन एमिशन 33-35 प्रतिशत कम कर लेने का और देश की पावर डिमांड को 50 प्रतिशत रीन्यूवेबल एनर्जी से चलाने का संकल्प लिया था. ग्लासगो समिट (कॉप 26) में साल 2070 तक कार्बन एमिशन नेट ज़ीरो करने की प्रतिबद्धता भी दिखाई गई थी.


केंद्रीय मंत्री ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण संरक्षण संबंधी नियमों के अनुरूप ऊर्जा क्षेत्र काम कर रहा है. स्वच्छ ऊर्जा को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए कहा कि, "उत्सर्जन घटाने के लक्ष्यों को लेकर हम सही तरीके से आगे चल रहे हैं." सिंह ने यह भी कहा कि "नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में हमें निर्यातक बनना होगा. हमें ग्रीन हाइड्रोजन, ग्रीन अमोनिया के निर्यातक के रूप में उभरना होगा. सुरक्षित ऊर्जा के क्षेत्र में भारत को वैश्विक नेतृत्व करना है और यह विधेयक उस दिशा में बढ़ाया गया एक और कदम है."

(फीचर ईमेज क्रेडिट: @SDGintegration)