BPCL गाथा: प्राइवेट से बनी सरकारी और अब सरकार बेचने जा रही हिस्सेदारी
BPCL की मुंबई, कोच्चि, बीणा, नुमालीगढ़ में रिफाइनरी हैं. कंपनी का कारोबार 7 स्ट्रैटेजिक बिजनेस यूनिट जैसे रिटेल, लुब्रिकेंट्स, एविएशन, रिफाइनरी, गैस, I&C और LPG में बंटा हुआ है.
BPCL यानी भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड...भारत के तेल व गैस सेक्टर का एक जानामाना नाम. यह वही BPCL है, जिसका भारतगैस LPG सिलेंडर देश के न जाने कितने घरों के किचन में मौजूद है. साल 1928 में BPCL (Bharat Petroleum Corporation Limited), प्राइवेट कंपनी के तौर पर शुरू हुई थी लेकिन फिर भारत सरकार ने इसे अपने स्वामित्व में ले लिया और अब सरकार इसमें हिस्सेदारी बिक्री की कवायद में जुटी है. साल 2019 से जारी यह प्रयास अभी तक अंजाम तक नहीं पहुंच सका है. BPCL ने भारत की तेल व गैस कंपनी से लेकर फॉर्च्यून 500 ऑयल रिफाइनिंग, एक्सप्लोरेशन और मार्केटिंग की दिग्गज बनने तक का सफर तय किया. आइए जानते हैं कैसे शुरू हुई थी BPCL और आज कहां है...
Burmah-Shell के नाम से हुई थी शुरुआत
जब तेल खोजें की जा रही थीं और इंडस्ट्री विस्तार की राह पर थी, उस वक्त जॉन डी रॉकफेलर नाम के शख्स और उनके बिजनेस एसोसिएट्स ने कई रिफाइनरीज और पाइपलाइन्स पर नियंत्रण हासिल कर लिया. इसके बाद उन्होंने खुद से स्टैंडर्ड ऑयल ट्रस्ट का गठन किया. यह देखकर और स्टैंडर्ड ऑयल का बढ़ता महत्व भांपते हुए रॉयल डच, शेल और Rothschild’s, जो तीन बड़े प्रतिद्वंदी हुआ करते थे, साथ आए और उन्होंने एक संगठन बनाया. यह संगठन था Asiatic Petroleum, जिसका मकसद था दक्षिण एशिया में पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स की बिक्री करना.
1928 में Asiatic Petroleum (India) ने Burmah-Shell Oil Storage एंड Distributing Company of India Limited का गठन करने के लिए Burmah Oil Company से हाथ मिलाया। Burmah Oil Company पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स की सक्रिय उत्पादक, रिफाइनर और डिस्ट्रीब्यूटर थी, विशेषकर भारत और बर्मा के बाजारों में.
केरोसीन के आयात और मार्केटिंग से की शुरुआत
इसके बाद बर्मा शेल ने केरोसीन के आयात और मार्केटिंग के साथ अपने परिचालन शुरू किए. जल्द ही कंपनी ने खुद को कई तरीकों से साबित करना शुरू किया. कंपनी बल्क में तेल उत्पाद आयात करती थी और उन्हें 4 गैलन व 1 गैलन की टिन्स में पूरे भारत में ट्रान्सपोर्ट करती थी. कंपनी ने दूरदराज के गांवों में लोगों तक पहुंचने की चुनौती को भी स्वीकार किया ताकि हर घर में केरोसीन की सप्लाई सुनिश्चित की जा सके. इस तरह रोशनी करने और खाना पकाने के लिए एफीशिएंट केरोसीन बर्निंग अप्लायंसेज का विकास और प्रमोशन कंपनी की केरोसीन सेलिंग एक्टिविटी का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया.
1950 के दशक में लाई LPG
इसके बाद बर्मा-शेल ने 1950 के दशक के मध्य में एलपीजी को भारतीय घरों के लिए कुकिंग फ्यूल के तौर पर इंट्रोड्यूस किया। यहां से पेट्रोलियम प्रॉडक्ट बेचने से आगे की कंपनी की जर्नी शुरू हुई, जिसमें लोगों को शिक्षित करना और उन्हें बेहतर सर्विस व प्रॉडक्ट की पेशकश करना शामिल रहा. भारत पेट्रोलियम ने कई पहलें भी लॉन्च कीं, जैसे प्योर फॉर श्योर, प्रीमियम पेट्रोल एंड डीजल, अर्बन एंड ट्रांसपोर्ट लॉयल्टी प्रोग्राम, कन्वीनिएंस स्टोर इन एंड आउट आदि, ताकि भारत में फ्यूल रिटेलिंग की तस्वीर में बदलाव लाया जा सके.
बैलगाड़ियों के जरिए एविएशन फ्यूल का ट्रान्सपोर्ट
जहां तक भारत में एविएशन फ्यूल की कहानी की बात है तो 20वीं शताब्दी की शुरुआत में बर्मा शेल ने बैलगाड़ियों के जरिए एविएशन फ्यूल की ट्रान्सपोर्टिंग शुरू की. बैलगाड़ियों पर फ्यूल कैन्स को लादकर एयरपोर्ट ले जाया जाता था। जेआरडी टाटा ने 1932 में जब टाटा एयर सर्विसेज को शुरू किया था तो उनकी ऐतिहासिक फ्लाइट में फ्यूल बर्मा शेल का ही था. फ्यूल बैलगाड़ियों पर कैन रखकर ट्रान्सपोर्ट किया गया था.
BPCL का राष्ट्रीयकरण
साल 1976 में Act on the Nationalisation of Foreign Oil companies ESSO (1974) के तहत BPCL का राष्ट्रीयकरण हो गया. यानी यह सरकार के स्वामित्व में आ गई. 24 जनवरी 1976 को एक नए युग की शुरुआत हुई, जब पूर्ण रूप से पब्लिक सेक्टर कंपनी भारत रिफाइनरीज लिमिटेड ने बर्मा शेल के भारत में कारोबार का पूर्ण स्वामित्व प्राप्त कर लिया. बाद में 1 अगस्त 1977 को भारत रिफाइनरीज लिमिटेड का नाम भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड हो गया. 18 नवंबर 1977 को भारत पेट्रोलियम को अपना नया लोगो मिला.
कब शुरू हुई प्राइवेटाइजेशन की सुगबुगाहट
BPCL को प्राइवेट बनाने की मंशा सरकार ने पहली बार साल 2003 में जताई थी।. मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया और फैसला हुआ कि संसद की मंजूरी के बिना ऐसा नहीं हो सकता. सरकार ने न सिर्फ बीपीसीएल बल्कि हिंदुस्तान पेट्रोलियम में हिस्सेदारी बेचने की मंशा जताई थी. दोनों कंपनियों में विनिवेश का तरीका यह पाया गया कि उन कानूनों में संशोधन करना होगा, जिनके तहत 1970 के दशक में कंपनियों का राष्ट्रीयकरण हुआ. इसके बाद संसद ने मई 2016 में Repealing and Amending Act, 2016 को लागू किया, जो उस कानून को हटाता है जिसके तहत BPCL का राष्ट्रीकरण हुआ था. इस तरह BPCL के विनिवेश का रास्ता खुला. 2017 में इसे महारत्न कंपनी घोषित किया गया और कंपनी सरकार के स्वामित्व वाली उन कंपनियों की कैटेगरी में पहुंच गई, जिनका मार्केट कैपिटलाइजेशन सबसे ज्यादा है और जो लगातार उच्च मुनाफा दर्ज कर रही हैं.
2019 में कंपनी के निजीकरण का ऐलान
21 नवंबर 2019 को सरकार ने BPCL के निजीकरण को मंजूरी दे दी. सरकार ने मार्च 2020 में कंपनी में अपनी पूरी 52.98 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के लिए बोलियां आमंत्रित कीं. लेकिन नुमालीगढ़ रिफाइनरी को पब्लिक सेक्टर में ही रखने का फैसला किया गया. मार्च 2021 में BPCL ने नुमालीगढ़ रिफाइनरी मं 61.5 फीसदी हिस्सा Oil India Ltd, Engineers India Ltd और असम सरकार को 9876 करोड़ रुपये में बेच दिया. नवंबर, 2020 तक कम से कम तीन बोलियां आईं. इसके बाद वित्त वर्ष 2021-22 में सरकार ने BPCL को बेचने का प्लान किया, लेकिन इसकी बिक्री वित्त वर्ष 2022-23 के लिए टल गई.
फिलहाल के लिए रुक चुका है निजीकरण
18 मई 2022 को खबर आई कि BPCL का निजीकरण रुक गया है क्योंकि ईंधन कीमतों पर स्पष्टता की कमी के चलते दो बोलीदाता पीछे हट गए और सिर्फ एक बोलीदाता बचा. अनिल अग्रवाल के वेदांता समूह और अमेरिकी वेंचर फंड अपोलो ग्लोबल मैनेजमेंट इंक व आई स्क्वेयर्ड कैपिटल एडवाइजर्स ने BPCL में सरकार की 53 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने में दिलचस्पी दिखाई थी हालांकि, बाद में दोनों वैश्विक निवेशकों ने अपनी बोलियां वापस ले लीं।
सरकार निजीकरण पर नए सिरे से कर रही विचार
चर्चा है कि सरकार अब BPCL के निजीकरण पर नए सिरे से विचार करना चाहती है, जिसमें बिक्री की शर्तों को संशोधित करना भी शामिल है। यह भी कहा जा रहा है कि भू-राजनीतिक स्थिति और ऊर्जा बदलाव को देखते हुए सरकार प्रबंधन नियंत्रण के साथ 26 फीसदी हिस्सेदारी की पेशकश कर सकती है।
कितना फैला हुआ है कारोबार
इस वक्त भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड सरकारी स्वामित्व वाली तेल व गैस एक्सप्लोरर व प्रॉड्यूसर है. BPCL को साल 2020 की फॉर्च्यून की द वर्ल्ड्स बिगेस्ट कॉरपोरेशंस लिस्ट में 309वां स्थान मिला था, वहीं 2021 की फोर्ब्स की ग्लोबल 2000 लिस्ट में 792वां स्थान मिला था. BPCL की मुंबई, कोच्चि, बीणा, नुमालीगढ़ में रिफाइनरी हैं. कंपनी का कारोबार 7 स्ट्रैटेजिक बिजनेस यूनिट जैसे रिटेल, लुब्रिकेंट्स, एविएशन, रिफाइनरी, गैस, I&C और LPG में बंटा हुआ है. BPCL का मार्केट कैप इस वक्त 72,030.04 करोड़ रुपये है. कंपनी का टर्नओवर 6.55 करोड़ रुपये है. बीएसई पर बीपीसीएल के शेयर की कीमत इस वक्त 332.40 रुपये है.