कोलार में एक छोटी सी दुकान से की थी शुरुआत, इस उद्यमी ने खड़ा किया 35 करोड़ रुपये का एथनिक वियर ब्रांड
कई उतार चढ़ाव के साथ उमर अख्तर अपनी यात्रा में आगे बढ़ते गए और उन्होने कोस्की की स्थापना की। कोस्की साड़ी समेत कई तरह के कपड़े बेंच रही है। साल 2019 में कोस्की ने 35 करोड़ रुपये का कारोबार किया है।
उमर अख्तर महज 16 साल के थे, जब बेंगलुरु में डिस्ट्रीब्यूटर उनके पिता सैफुल्ला अख्तर को बुरे समय ने अपनी जकड़ में ले लिया। वे खुदरा विक्रेताओं को बेचने के लिए निर्माताओं से साड़ी खरीदा करते थे।
SMBStory के साथ बातचीत में, उमर कहते हैं,
“हम एक छोटे से घर में रहते थे और हमारे पिता घर से ही बिजनेस करते थे क्योंकि हमारी कोई दुकान नहीं थी। मुझे याद है कि स्कूल से वापस आने के बाद, मैं अपने पिता के साथ स्कूटर के पीछे बैठकर साड़ियों का एक बड़ा डिब्बा लेकर बाजार जाता था।”
छह बच्चों में सबसे बड़े उमर, उन दिनों को याद करते हैं जब उनके पिता बेंगलुरु और हैदराबाद में स्थित खुदरा विक्रेताओं को साड़ी बेचते थे। लेकिन, एक बुरे दिन ने उनकी जिंदगी बदल दी। हैदराबाद में कुछ समस्याओं के कारण, शहर के खुदरा विक्रेताओं ने दुकान बंद कर दी और सैफुल्ला का लगभग 8 लाख रुपये का भुगतान अटक गया।
उमर कहते हैं,
"हमारे पास कर्ज चुकाने के लिए पैसे नहीं थे क्योंकि स्टॉक हैदराबाद के खुदरा विक्रेताओं को बेचा गया था और जिन लोगों से क्रेडिट लिया था, वे हमें परेशान करने लगे।"
उमर और उनके परिवार के लिए यह कठिन समय था और उन्हें थोक व्यापार को फिर से क्रेडिट पर जारी रखने से इनकार कर दिया गया। एक दिन, उन्होंने सुना कि कोलार का एक छोटा व्यापारी एक मामूली रकम पर अपनी दुकान बेच रहा है। तभी उन्होंने सोचा कि यह कैसे रहेगा यदि वे अपने स्वयं के खुदरा स्टोर से साड़ी बेचें और बाजार ऋण को चुकाएं? हालांकि, इसके लिए भी उन्हें सबसे जरूरी चीज फंड की आवश्यकता थी।
करीबी दोस्तों और परिवार की मदद से, सैफुल्ला ने दुकान को किराए पर लेने के लिए शुरुआती राशि एकत्र करने में कामयाबी हासिल की। लेकिन इस प्रक्रिया में, उन्हें उमर की शिक्षा रोकनी पड़ी, जो तब 11वीं कक्षा में थे और उन्हें कोलार में दुकान की देखभाल करने के लिए भेज दिया। अपनी पढ़ाई छोड़ने के विचार ने उमर को हिला कर रख दिया, लेकिन उन्होंने किसी तरह अपने पिता को कोलार में पढ़ने के लिए मना लिया, लेकिन साथ ही ये वादा किया कि वे व्यवसाय और अपनी पढ़ाई दोनों मैनेज करेंगे। लेकिन आगे की राह मुश्किल थी।
उद्यमी यात्रा की शुरुआत
1991 में, 16 साल की उम्र में, उमर ने अपनी उद्यमशीलता की यात्रा शुरू की। उन्होंने पढ़ाई जारी रखी लेकिन नियमित रूप से स्कूल नहीं गए और सिर्फ परीक्षा देने गए। चूंकि वह व्यवसाय के संचालन के लिए जिम्मेदार एकमात्र व्यक्ति थे, इसलिए उन्हें साड़ी स्टॉक इकट्ठा करने के लिए देश भर में यात्रा करनी थी।
वह याद करते हैं,
"जब हमने दुकान किराए पर ली, तो हमने इसका पुराना नाम 'मीना बाजार' ही रख लिया। यह यात्रा बहुत धीमी गति से शुरू हुई लेकिन कुछ ही महीनों में हमने 1,000 रुपये प्रतिदिन कमाने शुरू कर दिए, जिससे हमारे परिवार की जरूरतों को पूरा करने में मदद मिली।”
अगले कुछ वर्षों में, उन्होंने अपने सारे कर्ज चुका दिए और नई चीजों को देखना शुरू कर दिया। यहां तक कि उमर आगे कॉलेज भी गए, वे स्नातक करने वाले अपने परिवार के पहले सदस्य बने। जहां मीना बाजार स्थिर रूप से चल रहा था, लेकिन व्यापार को विस्तार देने के लिए आय अधिक नहीं थी।
व्यवसाय को आगे ले जाने के लिए, उमर ने एमबीए करने की सोची। हालाँकि, कोलार एक छोटा शहर था, और इसमें एमबीए के लिए कोई कॉलेज नहीं था और सबसे पास का विकल्प बेंगलुरु था। लेकिन, जैसा कि वह दुकान नहीं छोड़ सकते थे, इसलिए उन्होंने अपने एमबीए के आइडिया को छोड़ दिया और इसके बजाय मास्टर ऑफ कॉमर्स करने लगे। उनके पोस्टग्रेजुएशन ने उमर के परिवार को चौंका दिया। वह कोलार में इंस्टीट्यूट के टॉपर थे, जिससे उनके पिता को एहसास हुआ कि उमर आगे की पढ़ाई बेहतर तरीके से करेगा।
उमर ने SMBStory को बताया,
"मेरे पिता ने मुझे बुलाया और कहा, तू तो बड़ा स्मार्ट है। उन्होंने मुझसे कहा कि अब तुझे व्यापार की चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है और जो तुझे पसंद हैं वो कर क्योंकि उस समय तक मेरा छोटा भाई व्यवसाय की देखभाल करने के लिए पर्याप्त था।”
लेकिन तब तक पढ़ाई का समय जा चुका था और नियति को उमर के लिए कुछ और ही मंजूर था। उनके दादा ने उन्हें फोन किया और कहा कि वे अपने खुदरा व्यापार को दुबई तक बढ़ाना चाहते हैं। उमर कहते हैं,
“मैंने कभी भारत से बाहर कदम नहीं रखा था और मेरे लिए फ्लाइट में ट्रैवल करना किसी सपने के सच होने जैसा था। मैं तुरंत सहमत हो गया और हम दुबई चले गए।”
वहां उमर ने महसूस किया कि वे एक स्वतंत्र व्यवसाय स्थापित नहीं कर सकते हैं और उसके लिए उन्हें किसी स्थानीय के साथ साझेदारी करनी होगी। लेकिन इस योजना ने उन्हें ज्यादा उत्साहित नहीं किया और उन्होंने भारत लौटने का फैसला किया।
उमर कहते हैं,
“हमारा वीजा 10 दिनों में समाप्त हो रहा था। और इसलिए, हमने दुबई में अपने रिश्तेदारों और दोस्तों से मिलने के बारे में सोचा। मेरे दादाजी का एक पुराना दोस्त था जिसने हमें रात के खाने पर बुलाया था और मैं कहूंगा कि यह मेरे जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ था।"
उमर के दादा की अपने पोते की शैक्षणिक उपलब्धियों के बारे में सुनकर, दोस्त ने उनसे पूछा कि क्या वह दुबई में नौकरी करेगा। उनके दादा के दोस्त ने उनसे पूछा कि क्या वह ओरेकल सॉफ्टवेयर पर काम करना जानते हैं? इस सवाल ने उन्हें स्पीचलेस कर दिया।
उमर याद करते हैं,
“मेरे घर में कभी कंप्यूटर नहीं था। मुझे सॉफ्टवेयर की दुनिया की जानकारी नहीं थी। लेकिन मेरे दादाजी के मित्र ने कहा कि मुझे किसी भी काम को करने के लिए सॉफ्टवेयर की आवश्यकता है।”
आगे बढ़ने के लिए पीछे हटना
इस बार, उमर ने अपने दादा के समर्थन से अपनी पढ़ाई जारी रखने का फैसला किया। एक बार भारत में दोनों के वापस आने के बाद, उमर ओरेकल और जावा में डिप्लोमा प्राप्त करने के लिए एक संस्थान में शामिल हो गए। अपने कोर्स के बाद, उन्हें मैसूरु की एक छोटी सी कंपनी में एक सॉफ्टवेयर डेवलपर के रूप में एक ऑन-कैंपस प्लेसमेंट में काम पर रखा गया था, जो उनके लिए एक बड़ा कदम साबित हुआ। यद्यपि उन्हें बहुत कम वेतन पैकेज पर रखा गया था, लेकिन उनके उत्कृष्ट कौशल ने उन्हें बहुत जल्द टीम लीडर बना दिया। जल्द ही, वह थॉटवर्क्स में शामिल हो गए, जहां उन्होंने 10 साल तक काम किया।
उमर कहते हैं,
“वो भी एक दिन था जब मुझे दूसरे शहर के लिए ट्रेन पकड़ने पर भी दो बार सोचना पड़ता था लेकिन फुल टाइम जॉब पाने के बाद, मैंने 52 देशों की यात्रा की। हालांकि, मेरे अंदर अभी भी एक उद्यमी था जो कभी नहीं मरा।”
2009 में, जब वह अमेरिका में थे, तब उन्हें शिवाजी नगर, बेंगलुरु में एक दुकानदार द्वारा अपना स्टोर बेचने की खबर मिली। उनका कहना है कि उनके अंदर के उद्यमी ने उन्हें आवाज दी - "चलो इसे खरीदते हैं और बड़े शहर में मीना बाजार का विस्तार करते हैं।" उमर के पास बचत में 14 लाख रुपये थे और उन्होंने अपने परिवार के साथ इस विचार पर चर्चा की।
लेकिन, परिवार ने उनकी योजना को मंजूरी नहीं दी और उन्हें अपनी नौकरी पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा। उम्मीद न हारते हुए, उन्होंने अपने भाई के साथ इस पर चर्चा की और दोनों ने आगे बढ़ने का फैसला किया। उमर ने अपनी सारी बचत के साथ दुकान की स्थापना की और इसे मीना बाजार नाम दिया। और, तब से पीछे मुड़कर नहीं देखा।
शिवाजी नगर स्टोर को ग्राहकों से बेहद शानदार प्रतिक्रियाएं मिलीं जिसने उमर की उम्मीदों को और भी बढ़ा दिया। अब वे एथनिक मार्केट में एक बड़ा ब्रांड बनने के लिए अग्रसर थे। 2011 में, जब वह भारत में थे, तब उनका एक्सीडेंट हो गया, जिससे उनके दोनों पैर फ्रैक्चर हो गए।
वह कहते हैं,
“मेरे पैर फ्रैक्चर हो गए थे, और मैं बिस्तर पर था और कोई काम नहीं कर रहा था। मैंने सब कुछ ऑनलाइन करने और अगली दुकान शुरू करने के लिए एक स्थान खोजने का फैसला किया। मुझे पता चला कि कामराज रोड में एक दुकान उपलब्ध थी, जो बिल्कुल वही सटीक जगह थी जहां मैं अगली मीना बाजार की दुकान बनना चाहता था।”
जिस दिन उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिली, उमर ने अपने भाई को डील डन करने के लिए उन्हें दुकान के मालिक के पास ले जाने के लिए कहा। उमर तब उसकी बैसाखी पर थे। दुकान का किराया उनकी सैलरी से ज्यादा था और उमर को काफी बातचीत करनी पड़ी।
वे कहते हैं,
“मैं किसी तरह मकान मालिक को किराया कम करने के लिए कन्विंस करने में सक्षम था, लेकिन मेरे पिता आश्वस्त नहीं थे। मेरे पूरे परिवार ने इस तरह के जोखिम लेने के मेरे फैसले का समर्थन नहीं किया, लेकिन मेरे दृढ़ संकल्प ने मुझे एक कदम आगे बढ़ने से नहीं रोका और हमने कामराज रोड पर स्टोर खोला।"
और तब, विस्तार की कहानी शुरू हुई। 2013 में, उमर ने चिकपेट में एक और स्टोर खोला, जो अब ओकेजन वियर के लिए वन-स्टॉप-शॉप के रूप में फेमस है, खासकर पुराने बैंगलोरियंस के बीच। इस समय तक उमर के पिता और भाई ने कोलार स्टोर बंद कर दिया था, और सोर्सिंग और संचालन का प्रबंधन करने में मदद करने के लिए बेंगलुरु चले गए। उनके दूसरे भाई समीन एजाज, जिनके पास फिलिप्स में 10 साल का आईटी करियर था, ने भी अपनी नौकरी छोड़ दी और कारोबार को पूरा करने में मदद की।
उमर कहते हैं,
“अकेले दम पर मैनेज करना मुश्किल हो रहा था। शुक्र है कि मेरे भाई ने मेरा साथ दिया और मेरे हर फैसले में मेरे साथ खड़ा रहा, लेकिन मैं यह भी चाहता था कि मेरे पिता सभी ऑपरेशन की देखरेख करें।” 2014 में, उमर ने कॉमर्शियल स्ट्रीट में एक और स्टोर स्थापित किया। इसके बाद, उन्होंने फैसला किया कि यह एक फुल टाइम उद्यमी बनने का समय था। वह कहते हैं, “मैं जॉब से थक चुका था। मेरे अंदर का उद्यमी बहुत अच्छा महसूस नहीं कर रहा था और मैंने बेंगलुरु वापस आने का फैसला किया। मैं जब निकला तो मैं थॉटवर्क्स का सिंगापुर का एमडी था।"
ग्रोइंग कोस्की (Koskii)
उमर कहते हैं,
“मैंने रेडियो सहित विभिन्न एडवर्टाइजमेंट मोड्स पर अपने ब्रांड को बढ़ावा देना शुरू कर दिया। हमने पाया कि रेडियो के जरिए हमारे पास आने वाले अधिकांश ग्राहक गलती से किसी और मीना बाजार स्टोर पर पहुंच जाते थे। मीना बाजार के सैकड़ों स्टोर और मौजूदा 'मीना बाजार' स्टोर चेन हैं। इसलिए, हमें तत्काल कदम उठाने थे।”
2016 में, उमर ने जयनगर में एक और स्टोर खोला, और अपने सभी मौजूदा स्टोर्स को कोसकी (Koskii) में रीब्रांड किया।
2017 से 2018 तक, कोसकी का विस्तार फीनिक्स मॉल, मन्त्री स्क्वायर मॉल और कामाख्या रोड बेंगलुरु पर स्थित 15,000 वर्ग फुट कोसकी टॉवर तक हुआ। 2019 में, ब्रांड ने बेंगलुरु के बाहर कैथेड्रल रोड, चेन्नई में दुकान स्थापित करने के लिए अपना मार्ग प्रशस्त किया।
उमर बताते हैं,
"कामराज रोड पर कोसकी टॉवर लोगों को खूब अट्रैक्ट करता है, और यह न केवल मेरे लिए बल्कि मेरे पूरे परिवार के लिए एक यूरेका मूमेंट था जो कभी 600 वर्ग फीट के घर में रहता था। हममें से किसी ने भी विश्वास नहीं किया होगा कि हम इतना लंबा रास्ता तय करेंगे।"
कोसकी अब लहंगा (जो इसकी मुख्य श्रेणी है), साड़ी, कपड़े, गाउन, कपड़े, और बहुत कुछ बेचती है। आठ वर्षों में लगातार वृद्धि के बाद, 2019 में कंपनी ने 35 करोड़ रुपये के राजस्व में वृद्धि की और इस वित्त वर्ष में 50 करोड़ रुपये का कारोबार करने की योजना बनाई।
एथनिक वियर ब्रांड में सबसे हाई
उमर का कहना है कि महिलाओं का एथनिक वियर मार्केट 75,000 करोड़ रुपये का है जिसका ओकेजन वियर सेगमेंट 35,000 करोड़ रुपए का है। Meena Bazaar, Neeru’s, Soch और Mohey आदि जैसे बड़े संगठित ब्रांड लगभग 2000 करोड़ रुपये के राजस्व को सामूहिक रूप से कमाते हैं, लेकिन फिर भी उमर को लगता है कि उनके लिए बाजार में खेलने, ज्ञात होने और लाभदायक होने के लिए बहुत जगह है।
उमर कहते हैं,
"मैं कंपटीशन को बुरा नहीं मानता। मुझे अच्छा लगता है जब अन्य ब्रांड आगे बढ़ते हैं। हेल्दी कंपटीशन हमेशा सबसे अच्छी होती है और मेरा मानना है कि यह और अधिक सकारात्मकता जोड़ती है।”
कोसकी जयपुर, कोलकाता, सूरत, मुंबई सहित पूरे भारत से फैब्रिक्स और आउटफिट सोर्स करती है। दुकानों में कढ़ाई, हस्तनिर्मित, मशीन-निर्मित, और हाथ और मशीन-निर्मित संगठनों का मिश्रण होता है। कंपनी थर्ड-पार्टी मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी के माध्यम से सैकड़ों कारीगरों को रोजगार देती है जो उनके उत्पादों को डिजाइन और निर्माण करते हैं। उमर का कहना है कि उनके दो छोटे भाई हारून रशीद (चीफ प्रोडक्ट ऑफिसर), और समीन एजाज (सीओओ) उन्हें व्यापार में मदद करते हैं। हारून आउटफिट्स के डिजाइन का भी ख्याल रखते हैं।
वित्तीय चुनौतियों के बारे में बात करते हुए, उमर कहते हैं कि वह निवेशकों को लाना चाहते हैं, लेकिन वह किसी ऐसे व्यक्ति को खोजने की जरूरत पर जोर देते हैं जो उस विजन के साथ जुड़े जो कोसकी को अगले स्तर पर ले जाए। इसके अलावा, उन्हें लगता है कि एथनिक वियर मार्केट में एक क्लीन सप्लाई चैन शुरू करना एक सख्त जरूरत है।
निर्माता बहुत ही असंगठित हैं। उदाहरण के लिए, डिजाइन नंबर्स को डिफाइन करने की कमी उन निर्माताओं के साथ संवाद करने में परेशानी पैदा करती है जो स्टॉक से बाहर होने पर समान डिजाइन को फिर से बनाने के लिए थोक में सौदा करते हैं।
आगे का रास्ता
भविष्य के बारे में बात करते हुए, उमर का कहना है कि उनकी दृष्टि एक राष्ट्रीय पदचिह्न स्थापित करने की है और अन्य शहरों में विस्तार करने की योजना बना रहे हैं। इसके अलावा अप्रैल 2020 तक हैदराबाद में दुकान स्थापित करने का लक्ष्य है। जहां वह अपनी ऑफलाइन पहुंच बढ़ा रहे हैं, वहीं उन्होंने यात्रा को ऑफलाइन से ऑनलाइन करने के लिए एक ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म भी बनाया है।
वह उन कारीगरों का भी डेमोक्रटाइज करना चाहते हैं जिनके पास ब्रांडों से सीधे जुड़ने की क्षमता होनी चाहिए।
वे कहते हैं,
“कारीगरों में बहुत सारी क्षमताएँ होती हैं और उनकी रचनात्मकता कई बार फीकी पड़ जाती है। मैं एक ऐसा ढांचा बनाना चाहता हूं, जहां वे सीधे ब्रांडों से जुड़ सकें और अधिक मुनाफा कमा सकें।''