पिता की मृत्यु के बाद बेटी ने अखबार बांट कर चलाया परिवार, राष्ट्रपति ने किया सम्मानित
सिर से पिता का साया उठने के बाद बेटी ने अखबार वाली बनकर किया गुजारा...
8-9 साल की उम्र में जब बच्चों की समझ भी ढंग से विकसित नहीं हो पाती तब अरीना सुबह 5 बजे उठकर अखबार बांटने के लिए जाती थीं। सुबह उठकर पहले एजेंसी से अखबार लाना फिर आवारा कुत्तों से बचते हुए सर्दी या बारिश में घर-घर अखबार देना काफी दुष्कर होता था। इसके साथ ही पढ़ाई के लिए स्कूल जाना कितना मुश्किल काम रहा होगा, इसका आप और हम सिर्फ अंदाजा ही लगा सकते हैं।
लड़कों की तुलना में लड़कियों को अक्सर हमारा समाज कमजोर मानता रहा है और इसी आधार पर उनके साथ हमेशा भेदभाव भी होता है। लेकिन इस ख्याल को अरीना जैसी लड़कियां झूठा साबित कर रही हैं और लड़कों से कंधा मिलाकर आगे भी बढ़ रही हैं।
सुबह तड़के उठकर अखबार बांटने और फिर देर से स्कूल जाने के संघर्ष के साथ अरीना ने 12वीं तक की पढ़ाई पूरी की। इतने मुश्किल हालात में पढ़ाई करना आसान काम बिल्कुल नहीं था लेकिन अरीना को पढ़ाई की अहमियत पता थी और यही वजह थी जो उन्हें स्कूल जाने के लिए प्रेरित करती रही।
राजस्थान के जयपुर में जन्मी अरीना के परिवार में उनके माता-पिता के अलावा सात बहनें और दो भाई हैं। वह जब 8 साल की थीं तभी उनके सर से पिता का साया उठ गया। उस वक्त वह पांचवीं कक्षा में पढ़ती थीं। उनके पिता अखबार बांटने का काम करते थे। जब उनके पिता अखबार बांटने के लिए साइकिल से जाते थे, तो अरीना खेल-खेल में साइकिल को धक्का लगाती थीं। उन्हें नहीं पता था कि जिस काम को वह खेल समझ रही हैं एक दिन वही काम उनकी जिंदगी का हिस्सा बन जाएगा।
पिता के गुजर जाने के 14 साल बाद भी वह अखबार बांटने का काम कर रही हैं। लेकिन यह काम आसान कतई नहीं था। 8-9 साल की उम्र में जब बच्चों की समझ भी ढंग से विकसित नहीं हो पाती तब अरीना सुबह 5 बजे उठकर अखबार बांटने के लिए जाती थीं। सुबह उठकर पहले एजेंसी से अखबार लाना फिर आवारा कुत्तों से बचते हुए सर्दी या बारिश में घर-घर अखबार देना काफी दुष्कर होता था। इसके साथ ही पढ़ाई के लिए स्कूल जाना काफी मुश्किल काम था एक नन्हीं-सी बच्ची के लिए।
अखबार बांटने के कारण वह स्कूल में देर से पहुंचती थीं और इसलिए उन्हें रोज प्रिंसिपल की डांट सुनने को मिलती थी। यह सिलसिला ज्यादा लंबा नहीं चला और एक दिन स्कूल से उन्हें निकाल दिया गया। उन्होंने सबसे अपनी हालत बताई, लेकिन किसी ने उनकी मदद नहीं की।
उन्होंने जयपुर के ही एक रहमानी मॉडल स्कूल में अपनी व्यथा सुनाई तो उन्हें देर से स्कूल आने की इजाजत मिल गई। सुबह तड़के उठकर अखबार बांटने और फिर देर से स्कूल जाने के संघर्ष के साथ अरीना ने 12वीं तक की पढ़ाई पूरी की। इतने मुश्किल हालात में पढ़ाई करना आसान काम बिल्कुल नहीं था, लेकिन अरीना को पढ़ाई की अहमियत पता थी और यही वजह थी जो उन्हें स्कूल जाने के लिए प्रेरित करती रही।
जब अरीना 9वीं कक्षा में पहुंची तो घर की हालत थोड़ी और बुरी हो गई थी। सिर्फ अखबार बांटने से उनका गुजारा नहीं चल पा रहा था। इसलिए उन्होंने स्कूल से लौटने के बाद शाम को एक अस्पताल में पार्ट टाइम नर्स का काम भी शुरू कर दिया। उन्होंने लगभग 3 साल तक यानी 12वीं कक्षा तक रामा हॉस्पिटल और गंगपोल हॉस्पिटल में काम किया। अरीना के कमाए पैसों से ही उनके भाई-बहनों की पढ़ाई का खर्च चलता था। स्थिति ये थी कि अरीना हॉस्पिटल में ही अपना होमवर्क भी करती थीं।
कई दफा अरीना को इतनी घटिया बातें सुनने को मिलीं कि उनका दिल बैठ जाता, लेकिन उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी और अपने हौसले को पस्तन नहीं होने दिया। वह ऐसा बोलने वालों को मुहंतोड़ जवाब देती रहीं। कई बार तो उन्होंने मनचले लड़कों की पिटाई भी की।
12वीं पास करने के बाद रोज स्कूल जाने से अरीना को छुटकारा मिल गया और उन्होंने प्राइवेट कॉलेज में एडमिशन लेकर फुलटाइम करना शुरू कर दिया। उन्होंने शुरू में सीतापुरा में एक बीपीओ में का किया इसके बाद जयपुर में ही पंत कृषि भवन में 1 साल तक कंप्यूटर ऑपरेटर की जॉब की।
अरीना की उम्र जब छोटी थी तब लोग उन पर सवाल नहीं उठाते थे, लेकिन जैसे-जैसे वह बड़ी होती गईं उन्हें लोगों ने ताने सुनाने शुरू कर दिए। उन्हें कोसा जाता था और फब्तियां भी कसी जाती थीं। इसके अलावा कई मनचले लड़के भी अखबार वाली कहकर चिढ़ाते थे। कई बार उन्हें इतनी घटिया बातें सुनने को मिल जाती थीं, कि उनका दिल बैठ जाता था। लेकिन अरीना ने कभी हिम्मत नहीं हारी और अपने हौसले को पस्तन नहीं होने दिया। वह ऐसा बोलने वालों को मुहंतोड़ जवाब देती रहीं। कई बार तो उन्होंने मनचले लड़कों की पिटाई भी की।
अरीना की बहादुरी की वजह से उन्हें 26 जनवरी 2016 गणतन्त्र दिवस समारोह पर विषिष्ट अतिथि के रूप मे शामिल किया गया। उन्हें कई सारे अवॉर्ड भी मिल चुके हैं।
2010 में अरीना को श्री राजीव अरोड़ा फेडरेशन ऑफ राजस्थान एक्सपोर्ट की तरफ से हाई कोर्ट के जज मनीष भण्डारी ने ब्रेवरी अवॉर्ड दिया। 2013 में दिल्ली में देश की प्रथम महिला आईपीएस किरन बेदी ने उन्हें अब के बरस मोहे बिटिया ही कीजो अवॉर्ड दिया। इस मौके पर गुजरात की तत्कालीन सीएम आनंदीबने पटेल और केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने उनकी तारीफ की।
अरीना अभी फिलहाल राजस्थान के व्यापारियों एवं उद्योगपतियों की शीर्षस्थ संस्था फेडरेशन ऑफ राजस्थान ट्रेड एण्ड इण्डस्ट्री के लिए काम कर रही हैं।