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बांस की लकड़ी से खूबसूरत कलाकृतियाँ बनाता है मणिपुर का यह युवक, लॉकडाउन के बीच लकड़ी का ट्राईपॉड बनाकर पाई चर्चा

रोमेश ने बताया कि उन्होने साल 2012 में शौकिया तौर पर बांस की लकड़ी से जुड़े उत्पाद बनाने शुरू कर दिये थे, लेकिन उन्होने इसे पेशेवर तरीके से बनाना तीन साल पहले यानी साल 2018 में शुरू किया।

मणिपुर की राजधानी इम्फाल के एक कस्बे में रहने वाले 26 वर्षीय कोंसम रोमेश सिंह बांस की लकड़ी से कलाकृतियों का निर्माण करते हैं और वे बीते कुछ सालों उनकी ये खूबसूरत कलाकृतियाँ उनकी कमाई का जरिया भी बन गई हैं। रोमेश यूट्यूब के जरिये वीडियो व्लॉगिंग भी करते हैं, जहां वे अपनी कलाकृतियों के निर्माण से जुड़े दिलचस्प वीडियो शेयर करते रहते हैं।


योरस्टोरी के साथ हुई बातचीत में रोमेश ने अपनी इस कला और इससे जुड़ी संभावनाओं पर खुलकर बातचीत की है। इन दिनों बांस की लकड़ी से मोबाइल का ट्राईपॉड बनाने के बाद रोमेश लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गए और आज बड़ी तादाद में लोग उनके हुनर को पहचानते हुए उनकी तारीफ भी कर रहे हैं।

ऐसे हुई शुरुआत

रोमेश ने बताया कि उन्होने साल 2012 में शौकिया तौर पर लकड़ी से जुड़े उत्पाद बनाने शुरू कर दिये थे, लेकिन उन्होने इसे पेशेवर तरीके से बनाना तीन साल पहले यानी साल 2018 में शुरू किया। शुरुआत में रोमेश छोटी कलाकृति बनाते थे, लेकिन आज रोमेश द्वारा बनाई गई बेहतरीन कलाकृतियाँ सभी के द्वारा पसंद की जा रही हैं।


निम्न मध्यम वर्गीय परिवार से आने वाले रोमेश के माता-पिता किसान हैं और परिवार की स्थिति के चलते रोमेश को आगे बढ़ने के लिए आर्थिक सहायता नहीं मिल सकी, लेकिन रोमेश कहते हैं कि वो अपने इरादों के पक्के थे।


अपनी कला के जरिये रोमेश ने 30 से अधिक पुरस्कार जीते हैं, जिसमें मणिपुर राज्य मेरिट अवार्ड भी शामिल है, इसके साथ उन्हे पुरस्कार के तौर पर 50 हज़ार रुपये की नगद राशि भी मिली थी।
रोमेश द्वारा निर्मित लकड़ी का लैंप और ट्राईपॉड

रोमेश द्वारा निर्मित लकड़ी का लैंप और ट्राईपॉड

ट्राईपॉड व अन्य उत्पाद

रोमेश ने बांस की लकड़ी से एक ट्राईपॉड बनाया जो ना सिर्फ देखने में सुंदर हैं, हालांकि हल्का होने के साथ ही पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल भी है। रोमेश के इस खास ट्राईपॉड को सबसे अधिक पसंद किया गया है।


रोमेश ने योरस्टोरी को बताया कि वो वीडियो व्लॉगिंग करते हैं और उन्हे इसके लिए एक ट्राईपॉड की आवश्यकता थी, लेकिन कोरोना वायरस महामारी के साथ लागू हुए लॉकडाउन के चलते वो बाज़ार से ट्राईपॉड लाने में असमर्थ थे और तभी उन्होने अपने हुनर का इस्तेमाल करते हुए उनके पास मौजूद संसाधन (बांस की लकड़ी) के जरिये ट्राईपॉड का निर्माण करने का निर्णय लिया।


उन्होने इसके लिए इंटरनेट से सीखते हुए महज एक हफ्ते के भीतर अपनी जरूरत के अनुसार ट्राईपॉड का निर्माण कर डाला।


रोमेश के उत्पादों की कीमत की बात करें तो उनके द्वारा बनाए गए लकड़ी के खूबसूरत लैंप की कीमत 1 हज़ार रुपये, ट्राईपॉड की कीमत 12 सौ रुपये, लकड़ी के पेन की कीमत महज 100 रुपये है।

रोमेश की कलाकृतियाँ

रोमेश की कलाकृतियाँ


बाज़ार की तलाश

रोमेश ने बताया कि वो अपनी स्थानीय भाषा में बात करते हैं ऐसे में हिन्दी या अंग्रेजी भाषी ग्राहकों से बातचीत करना उनके लिए कठिन हो जाता है। वो फिलहाल अपने उत्पादों को अपने फेसबुक पेज और व्हाट्सऐप के जरिये बेंच रहे हैं। रोमेश अपने उत्पादों के निर्माण से जुड़े वीडियो अपने यूट्यूब चैनल पर भी डालते हैं।


रोमेश के उत्पादों के लिए आप उनके फेसबुक पेज या यूट्यूब चैनल के जरिये भी उनसे जुड़ सकते हैं।


वह निकट भविष्य में अपने उत्पादों के लिए एक बड़े ग्राहक वर्ग तर्क पहुँचने के लिए सभी संभावित विकल्पों पर विचार कर रहे हैं, जिसमें खुद की वेबसाइट से लेकर ई-कॉमर्स वेबसाइट भी शामिल हैं। रोमेश के उत्पाद स्थानीय स्तर पर मौजूद स्टोर द्वारा बेंचे जाते हैं।