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15 लाख की नौकरी छोड़ 3 दोस्तों ने बनाया स्टार्टअप, जोड़ा पुराने सैलून को और बचाया ग्राहकों का समय

15 लाख की नौकरी छोड़ 3 दोस्तों ने बनाया स्टार्टअप, जोड़ा पुराने सैलून को और बचाया ग्राहकों का समय

Wednesday March 16, 2016 , 7 min Read

एक पुरानी कहावत है कि आवश्यकता आविष्कार की जननी है। यानि इंसान अपनी जरूरतों के मुताबिक और अपनी समस्याओं के हल के लिए नई-नई चीजें और व्यवस्थाएं बनाता रहता है। ये फंडा उपभोक्ता बाजार में भी न सिर्फ किसी प्रोडक्ट मैन्युफैक्चरिंग पर बल्कि सर्विस सेक्टर पर भी समान रूप से लागू होता है। देश में मध्यम वर्ग की बढ़ती पर्चेजिंग पावर के कारण सेवा क्षेत्र का लगातार विस्तार हो रहा है। बाजार में बड़ी-बड़ी देशी और विदेशी कंपनियां नित नई-नई सेवाएं लेकर आ रही है, जिससे उपभोक्ताओं को न सिर्फ उनके खर्च किए पैसे से वाजिब तौर पर सर्व सुलभ और संतोषजनक सेवाएं मिल रही है, बल्कि उनके समय की भी बचत हो रही है। सर्विस सेक्टर में आज वैसी कंपनिया तेजी से फल-फूल रही हैं, जो न सिर्फ लाभ के दृष्टिकोण से चलाई जा रही हो, बल्कि वह आम लोगों के किसी प्रोब्लम को सॉल्व करने के लिए एक विकल्प के तौर पर बाजार में मौजूद हों। खास तौर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्टार्ट-अप योजना के बाद देश भर में आंत्रप्रेन्योरशिप को लेकर एक साकारात्मक माहौल बना है। अब कॉलेजों से प्रोफेशनल कोर्स की पढ़ाई पूरी कर निकलने वाले युवा नौकरी के बजाए खुद का स्टार्ट-अप लगाने की सोच रहे हैं। कई युवाओं ने इस दिशा में कदम भी बढ़ा दिया है। ये नई कहानी है भोपाल में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले छात्र प्रवीण मौर्या और उनके दो पार्टनर रवि नारंग और मोहन साहू की, जिन्होंने सालाना लाखों रुपये का पैकेज छोड़ कर खुद का स्टार्टअप शुरू किया है। सैलून और पार्लर्स से जुड़ा ये स्टार्टआप अपने सिर्फ एक माह की मियाद में ही लोगों को काफी रास आ रहा है। अपनी सफलता से उत्साहित इन लोगों ने अब भोपाल के बाहर के शहरों और फिर पूरे देश में अपने पार्लर्स के चेन के विस्तार की योजना बनाई है।


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नाई की दुकान पर वह बोरिंग वेटिंग..

हेयर कटिंग और सेविंग के लिए किसी नाई की दुकान या पार्लर में अपनी बारी का इंतजार करना हम सभी के लिए काफी उबाऊ होता है। सैलून में बैठे-बैठे अगर आप वहां रखा पूरा अखबार भी चाट जाएं और दुकान में लगे टीवी पर चलने वाली फिल्म या कोई प्रोग्राम आपके पसंद का न हो तो ये उब धीरे-धीरे खीज में बदल जाती है। उसपर भी अगर दफ्तर जाने की कोई जल्दी हो तो मन करता है कि बिना हेयर कटिंग कराएं ही भाग जाऊं। कई बार ऐसा भी होता है कि बारी तो अपनी होती है लेकिन पार्लर वाले का कोई खास परिचित या इलाके का कोई प्रभावशाली आदमी आ जाए तो नाई नियम तोड़ कर पहले उसकी बाल या दाढ़ी बनाने में जुट जाता है। तब हम चाहकर भी कुछ नहीं कर पाते और मन मारकर फिर से इंतजार करने लगते हैं। वक्त बर्बाद होने और इंतजार की इस बला से बचने के लिए बहुत से लोग घर पर ही खुद से सेविंग करते हैं, लेकिन मजबूरन उन्हें हेयर कटिंग के लिए सैलून जाना पड़ता है। लेकिन अब इस समस्या का हल निकाल लिया गया है। अब आप अपने हेयर कटिंग और सेविंग के लिए अपने मनपसंद सैलून और पार्लर भी जाएंगे और आपको न तो अपना टाईम खोटा करना होगा न ही अपनी बारी का इंतजार। अब नाई पहले से आपके इंतजार में होगा। सैलून पहुंचते ही वह फटाफट आपका काम करेगा और आपकी छुट्टी।


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भूल जाईये अब अपनी बारी का इंतजार..

देश के सर्विस सेक्टर में अपने तरह के इस अनोखे आइडिया के साथ पार्लोसैलो नाम से शुरू किए गए इस स्टार्ट-अप से कोई भी व्यक्ति हेयर कटिंग, हेयर डाइ, सेविंग, ट्रीमिंग, स्पॉ, मसाज, वैक्स, फेसियल और मेकअप सहित पार्लर के किसी भी सेवा के लिए पहले ही बुकिंग करा सकता है। बुकिंग के बाद ग्राहक को नजदीकी और उसके पंसद के सैलून में सेवा उपलब्ध होने का एक निश्चित समय दे दिया जाता है। ग्राहक अपने टाईम पर जाकर बिना किसी इंतजार के हेयर कटिंग या अन्य सर्विस प्राप्त कर फ्री हो जाता है। इससे उसके समय की बचत होती है और बदले में कोई अतिरिक्त राशि भी नहीं चुकानी होती। इस तरह के सर्विस से एक साथ तीन लोगों को फायदा मिल रहा है। ग्राहकों को जहां अपने समय के मुताबिक सेवाएं मिल रही है, वहीं सैलून और पार्लर वालों को भी ग्राहकों को बेहतर सुविधाएं देने में इंतजार में बैठे ग्राहकों का कोई दबाव नहीं होता। अब ऐसे ग्राहकों को पकड़ने में भी आसानी हो रही है जो पार्लर में भीड़ देखकर दूसरे पार्लरों का रुख कर लेते थे। पार्लर और ग्राहकों को आपस में जोड़ने में पार्लोंसैलो एक प्लेटफार्म और सेतु का काम करता है।


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पार्लोसैलो ऐसा करता है काम

पार्लोसैलो के पास शहर के सभी सैलूनों और पार्लरों की सूची है। कौन सा सैलून शहर के किस इलाके में स्थित है, इसका पूरा डेटा बैंक कंपनी के पास है। कंपनी में 24 घंटे ग्राहक बुकिंग करा सकता है। बुकिंग ऑनलाइन और फोन दोनों से करने की सुविधा है। बुकिंग ग्राहक अपने नजदीकी या फिर शहर के किसी भी पसंदीदा पार्लर के लिए करा सकता है। सर्विस चार्ज ग्राहक बुकिंग के समय ही ऑनलाइन कर सकता है या फिर सर्विस लेने के बाद भी पार्लर में भुगतान कर सकता है। 


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कंपनी के पास अभी सिर्फ 12 लोगों का स्टाफ है। चार लोग ऑफिस में ग्राहकों का कॉल एटेंड कर या उनके मेल के जरिए भेजे गए बुकिंग रिक्वेस्ट को कंर्फम कर ग्राहकों को सर्विस के लिए कॉल कर टाइम बताता है। चार लोग प्रबंधन और ऑफिस के अन्य कामों की जिम्मेदारी संभालते हैं। शेष चार लोग शहर के नए सैलून और पार्लर्स को कंपनी से जोड़ने का काम करते हैं।


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तीन दोस्तों ने छोड़ी लाखों की नौकरी 

उत्तर प्रदेश के बनारस से ताल्लुक रखने वाले प्रवीण मौर्या भोपाल के मिलिनियम कॉलेज ऑफ टेक्नॉलजी के बीई (सीएस) फायनल इयर के छात्र हैं। उनके दो पार्टनर रवि नारंग और मोहन साहू और उनके तीन दोस्त समीर, चंदन और निधि ने मिलकर काम किया। खास बात यह है कि कई दोस्तों का हैदराबाद की एक आईटी कंपनी में प्लेसमेंट हो चुका है। सभी को लगभग 12 से 15 लाख सालाना पैकेज ऑफर किया गया है, लेकिन छात्रों ने नौकरी के बजाए खुद के उद्यम को महत्व दिया है। 


प्रवीण मौर्य

प्रवीण मौर्य


प्रवीण के पिता का पहले से कंपूयटर का व्यवसाय है, जबकि उनके बड़े भाई डॉक्टर हैं। प्रवीण और उनके तीनों दोस्त समीर, चंदन और निधि आत्मविश्वास से भरे हैं। प्रवीन ने योर स्टोरी को बताया, 

"एक दिन अपनी कंपनी को हम शिखर पर ले जाएंगे। बहुत जल्द हमारा नेटवर्क भोपाल और मध्य प्रदेश की सीमाओं को लांघ कर देश के दूसरे शहरों तक पहुंचेगा।" 

हालांकि इन्हें अभी फंड की काफी दिक्कतें आ रही है। इनके दो और पार्टनर है रवि नारंग और मोहन साहू। ये दोनों सेवा व्यापार के क्षेत्र में अनुभवी हैं और कंपनी चलाने के लिए पैसों का इंतजाम भी यही दोनों करते हैं।


पार्लोसैलो की पूरी टीम 

पार्लोसैलो की पूरी टीम 


कैसे आया आइडिया

पार्लोसैलो का आइडिया इन्हीं चार दोस्तों का है। अकसर अपने हेयर कटिंग और सेविंग के लिए नाई की दुकान पर जाना पड़ता था। दुकान पर ग्राहकों की काफी भीड़ रहती है। अपनी बारी के इंतजार में घंटों बैठना पड़ता था। इससे उनका समय बर्बाद होता था। समय की बर्बादी से बचने के लिए कई बार ये नाई को फोन कर दुकान पर जाने लगे, जिससे बिना इंतजार के समय पर इनका काम होने लेगा। तभी आइडिया आया कि ये काम बड़े पैमाने पर सभी ग्राहकों के लिए भी किया जा सकता है। बस, सभी दोस्तों ने आपस में विचार विमर्श किया और शुरू कर दिया पार्लोसैलो जैसा एक नया स्टार्टअप।

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