डिलिवरी बॉय ने शुरू किया स्टार्टअप, आज कमाता है लाखों
अमेजन में हजारों की नौकरी करने वाला डिलिवरी बॉय आज कमा रहा है लाखों...
हम टेक्नॉलजी के ऐसे दौर में जी रहे हैं जहां हमें सब कुछ तुरंत चाहिए होता है। चाहे वो मोबाइल से टिकट बुक करना हो, ऑनलाइन शॉपिंग करनी हो या कुछ खाना ऑर्डर करना हो। सब फटाफट चाहिए। खाने पीने की चीजें डिलिवरी करने के लिए बड़े शहरों में कई स्टार्टअप ये सर्विस दे रहे हैं, लेकिन जयपुर जैसे छोटे शहर में ऐसी सुविधा नहीं है। इसी कमी को पूरा करने के लिए एक युवा ने चाय-नाश्ता डिलिवर करने का स्टार्टअप शुरू किया है।
रघुवीर को नहीं पता था कि उनका आइडिया कितना सफल होगा, लेकिन उनकी चाय और डिलिवरी इतनी अच्छी होती है कि हर दुकान वाला उनसे ही चाय मंगाने लगा।
जयपुर के रघुवीर सिंह चौधरी आर्थिक रूप से पिछड़े परिवार से आते हैं। उनके घर की हालत इतनी अच्छी नहीं थी कि वे स्कूल खत्म करने के बाद आगे की पढ़ाई कर पाते। इसलिए मजबूरी में उन्हें काम करना पड़ा। एमेजन में वह डिलिवरी बॉय का काम करते थे और सैलरी के तौर पर उन्हें सिर्फ 9,000 रुपये महीने मिलते थे।
हम टेक्नॉलजी के ऐसे दौर में जी रहे हैं जहां हमें सबकुछ तुरंत चाहिए होता है। चाहे वो मोबाइल से टिकट बुक करना हो, ऑनलाइन शॉपिंग करनी हो या कुछ खाना ऑर्डर करना हो। सब फटाफट चाहिए। खाने पीने की चीजें डिलिवरी करने के लिए बड़े शहरों में कई स्टार्टअप ये सर्विस दे रहे हैं, लेकिन जयपुर जैसे छोटे शहर में ऐसी सुविधा नहीं है। इसी कमी को पूरा करने के लिए एक युवा ने चाय-नाश्ता डिलिवर करने का स्टार्टअप शुरू किया है। जयपुर के रघुवीर सिंह चौधरी आर्थिक रूप से पिछड़े परिवार से आते हैं। उनके घर की हालत इतनी अच्छी नहीं थी कि वे स्कूल खत्म करने के बाद आगे की पढ़ाई कर पाते। इसलिए मजबूरी में उन्हें काम करना पड़ा। अमेजन में वह डिलिवरी बॉय का काम करते थे और सैलरी के तौर पर उन्हें सिर्फ 9,000 रुपये महीने मिलते थे। उनके पास बाइक नहीं थी और वह साइकिल से घर-घर अमेजन के समान की डिलिवरी करते थे।
ये भी पढ़ें,
दसवीं के 3 छात्रों ने शुरू किया स्टार्टअप, मिल गई 3 करोड़ की फंडिंग
दिन भर साइकिल चलाते-चलाते वह थक जाते थे। इसके बाद उन्हें चाय की जरूरत पड़ती थी। लेकिन चाय की अच्छी दुकान ढूंढ़ने में उन्हें दिक्कत होती थी। अगर कोई चाय की दुकान मिलती भी थी तो ये कोई तय नहीं होता था कि वहां अच्छी चाय ही मिलेगी। कई बार उन्हें खराब चाय भी पीनी पड़ती थी। रघुवीर को रोज-रोज इस स्थिति का सामना करना पड़ता था। उन्होंने सोचा कि मेरी ही तरह न जाने कितने लोग होंगे जिन्हें अच्छी चाय पीने की इच्छा होती होगी और वे चाय नहीं पी पाते होंगे।
रघुवीर ने सोचा कि जब बड़ी-बड़ी कंपनियां सामान की डिलिवरी करती हैं तो वह चाय क्यों नहीं पहुंचा सकते। पहली सैलरी मिलते ही रघुवीर ने इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया। सबसे पहले उन्होंने एक कमरा किराए पर लिया। उसके बाद एक व्यक्ति को नौकरी पर रखा। उन्होंने एक ऐप भी तैयार करवा लिया और थोड़े से प्रचार से ही चाय की डिलिवरी करने लगे। उन्होंने अमेजन की डिलिवरी बॉय की नौकरी छोड़ दी। ऐप के साथ ही वह वॉट्सऐप और फोन से भी चाय के ऑर्डर लेने लगे।
रघुवीर को नहीं पता था कि उनका आइडिया कितना सफल होगा, लेकिन उनकी चाय और डिलिवरी इतनी अच्छी होती है कि हर दुकान वाला उनसे ही चाय मंगाने लगा। शुरू में उन्होंने अपने तीन दोस्तों के साथ यह काम शुरू किया था। क्योंकि उनके पास ज्यादा पूंजी भी नहीं थी। धीरे-धीरे उन्होंने अपने आस-पास के दुकानदारों से संपर्क साधा और लगभग सौ दुकानों से संपर्क बना लिया। जिस क्वॉलिटी की चाय वह डिलिवर करते हैं वैसी चाय मार्केट में मिलना मुश्किल होता है। कुछ दिनों बाद उन्होंने एक बाइक भी ले ली।
ये भी पढ़ें,
एक किसान के बेटे ने शहर में बना डाला अॉरगेनिक खेत, यूएनडीपी ने किया सम्मानित
आज जयपुर में रघुवीर के चार चाय के सेंटर हैं, जहां से वह चाय की डिलिवरी करते हैं। हर दिन उन्हें 500 से 700 चाय के ऑर्डर मिलते हैं। इससे हर महीने उन्हें 1 लाख से ज्यादा की कमाई होती है। उनके पास आज चार मोटरसाइकिल हैं जिससे वह चाय की डिलिवरी करते हैं।
रघुवीर उन तमाम स्टार्टअप शुरू करने वाले लोगों के लिए प्रेरणास्रोत हैं, जो तमाम तरह की मुश्किलों से गुजरते रहते हैं। रघुवीर की कहानी बताती है कि हमें बस सही मौके की जरूरत होती है, उसके बाद सही वक्त पर पूरी लगन से मेहनत की जाए तो सफल होने से कोई नहीं रोक सकता।