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वकालत में महिलाओं के साथ असमानता दूर करने के लिए सामाजिक, सांस्कृतिक बाधाओं को खत्म करने की जरूरत: जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह

सोसाइटी ऑफ इंडियन लॉ फर्म (SILF), SILF लेडीज ग्रुप ने पूरे भारत की 500 महिला वकीलों के साथ महिला सशक्तिकरण के लिए महिला वकील दिवस (Lady Lawyers Day) मनाया.

वकालत में महिलाओं के साथ असमानता दूर करने के लिए सामाजिक, सांस्कृतिक बाधाओं को खत्म करने की जरूरत: जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह

Sunday August 06, 2023 , 6 min Read

सोसाइटी ऑफ इंडियन लॉ फर्म्स (SILF) और SILF लेडीज ग्रुप (SLG) ने आज "महिला वकील दिवस (Lady Lawyers Day)" का सफलतापूर्वक आयोजन किया. यह कार्यक्रम कानूनी पेशे में महिलाओं की उपलब्धियों और सशक्तिकरण का एक शानदार उत्सव था, जिसमें देश भर से लगभग 500 महिला वकीलों ने भाग लिया.

कार्यक्रम की शुरुआत दिल्ली उच्च न्यायालय की न्यायाधीश, न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह द्वारा उद्घाटन के साथ हुई. प्रख्यात कानूनविद, फली एस नरीमन की वर्चुअल उपस्थिति से कार्यक्रम की गरिमा बढ़ी.

मुख्य भाषण देते हुए, दिल्ली उच्च न्यायालय की न्यायाधीश, न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने कहा, "लैंगिक समानता हासिल करने के लिए महिलाओं का संघर्ष दुनिया भर में दिखाई देता है. यहां तक कि भारत में भी, शुरुआत के समय और 20वीं सदी के मध्य तक, महिलाओं को कानून की पढ़ाई करने, वकील बनने या अदालतों में मुकदमा करने में बाधाओं का सामना करना पड़ा. प्रगति हुई है, लेकिन हम आगे की लंबी यात्रा को स्वीकार करते हैं. महिला वकीलों ने कानून फर्मों, मुकदमेबाजी, कॉर्पोरेट कानून, पब्लिकेशन और नीति निर्माण में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है. लैंगिक पूर्वाग्रह विश्व स्तर पर बना हुआ है, जिससे महिलाओं के नेतृत्व और प्रतिनिधित्व में बाधा आ रही है. राष्ट्राध्यक्षों, शासनाध्यक्षों और प्रबंधकीय पदों का केवल एक छोटा प्रतिशत ही महिलाओं के पास है."

उन्होंने आगे कहा, "वकीलों के रूप में महिलाओं को आगे लाने के लिए सामाजिक और सांस्कृतिक बाधाओं को दूर करना आवश्यक है. हालाँकि लॉ कॉलेजों में महिलाओं की संख्या अधिक है, फिर भी विभिन्न कारणों से नामांकन कम रहता है. कई अदालतों में महिला वकीलों को पर्याप्त सुविधाएं हासिल करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है."

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कार्यक्रम को लेकर अपना संदेश भेजा था. उन्होंने कानूनी क्षेत्र में महिलाओं के असाधारण योगदान को स्वीकार किया और जीवन के सभी क्षेत्रों से महिलाओं को सशक्त बनाने और समर्थन देने के निरंतर प्रयासों के महत्व पर जोर दिया. इस अवसर पर अपने संदेश में, सीतारमण ने कहा, "यह खुशी की बात है कि SILF महिला वकीलों की भूमिका और योगदान को पहचानता है. SILF का प्रयास है कि भारतीय कानून फर्मों को टेक्नोलॉजी, कौशल, जनशक्ति और बुनियादी ढांचे के स्तर पर वैश्विक मानक को देखते हुए उन्नत करने का प्रयास किया जाए. आशा है कि SILF महिला समूह हमारी कानूनी प्रणाली की पवित्रता को बनाए रखते हुए कॉर्पोरेट प्रशासन और सर्वोत्तम प्रथाओं को बढ़ावा देगा. साथ ही यह अनगिनत युवा महिलाओं को अटूट प्रतिबद्धता और सम्मान के साथ न्याय की सेवा करने के लिए प्रेरित करे."

उन्होंने आगे कहा, "महिला वकीलों को सशक्त बनाने के लिए टेक्नोलॉजी को अपनाना, विशेषज्ञता हासिल करना सफलता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं. अपनी विशेषज्ञता का क्षेत्र चुनकर महिलाएं कानूनी पेशे में स्थायी प्रभाव डाल सकती हैं. आइए हम कानून में महिलाओं के लिए अधिक समावेशी और सहायक वातावरण बनाने के लिए मिलकर काम करें."

Addressing Disparity in Women's Enrollment as Lawyers Requires Overcoming Social and Cultural Hurdles,  says Justice Pratibha M. Singh, Judge-Delhi High Court

इस अवसर पर बोलते हुए, प्रसिद्ध भारतीय न्यायविद, वरिष्ठ अधिवक्ता और दिग्गज कानूनविद, फली एस. नरीमन ने कहा, "लेडी लॉयर्स ग्रुप एक सामयिक और सराहनीय पहल है जो बदलते सामाजिक माहौल के अनुरूप है. आज का संदर्भ 1948 और 1949 में हमारे संविधान के ड्राफ्टिंग के समय से और यहां तक कि जब मैंने नवंबर 1950 में बंबई में ज्वाइन किया था, यह तब से भी काफी अलग है. उस समय, महिलाओं को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा था और केवल कुछ मुट्ठी भर लोगों को ही महत्वपूर्ण योगदान देने का अवसर मिला था, जैसे राजकुमारी अमृत कौर और हंसल मेहता."

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार समिति में हंसल मेहता की भागीदारी महत्वपूर्ण थी, जिसने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार घोषणा का मसौदा तैयार किया था. इसके अतिरिक्त, ब्रिटिश भारत में पहली प्रैक्टिसिंग महिला वकील के रूप में कॉर्नेलिया सोराबजी की अभूतपूर्व उपलब्धियों ने प्रगति के लिए मंच तैयार किया. बाधाओं के बावजूद, भारत और अन्य जगहों पर महिलाओं ने हमेशा अपने अधिकारों के लिए लगातार संघर्ष किया है. इस गतिशील माहौल में, कानूनी पेशे में महिलाओं के लिए समावेशिता और सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए लेडी लॉयर्स ग्रुप के प्रयास अत्यधिक महत्व रखते हैं."

महिला वकील दिवस पर पूरे भारत से लगभग 500 महिला वकीलों ने इस कार्यक्रम में उत्साह के साथ भाग लिया. इस मौके पर "क्या महिलाओं को सशक्तिकरण की आवश्यकता है?" विषय पर एक पैनल चर्चा का आयोजन किया गया. इस पैनल चर्चा में कानूनी पेशे में महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों पर शानदार चर्चा हुई और वह कैसे आगे बढ़ सकती हैं, इसपर भी चर्चा हुई है.

श्वेता भारती, सीनियर पार्टनर हम्मूराबी एंड सोलोमन पार्टनर्स द्वारा संचालित पैनल चर्चा में वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह सहित प्रतिष्ठित पैनलिस्ट शामिल थे. इनमें वाणी मेहता, जनरल काउंसिल - दक्षिण एशिया, जीई; अमिता कटरागड्डा, सिरिल अमरचंद मंगलदास; पल्लवी सलूजा, बार एवं बेंच; इकोनोमिक्स टाइम्स से मानिका बेहुरा और मनीषा सिंह, लेक्स ऑर्बिस (Lex Orbis) शामिल थीं.

डॉ. ललित भसीन, अध्यक्ष, SILF

डॉ. ललित भसीन, अध्यक्ष, SILF

इस अवसर पर डॉ. ललित भसीन, अध्यक्ष, SILF ने कहा, "सोसाइटी ऑफ इंडियन लॉ फर्म्स ने लेडी लॉयर्स ग्रुप की स्थापना करके एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है, यह मानते हुए कि लॉ फर्मों में अधिकांश वकील महिलाएं हैं. हालांकि, महिला वकीलों की करियर की प्रगति चिंता पैदा करती है, क्योंकि केवल कुछ ही अपनी फर्मों के बाहर शीर्ष पदों तक पहुंचती हैं. उनके लिए कानून फर्मो में उत्कृष्टता हासिल करने और बेंच में पदोन्नति के माध्यम से पहचाने जाने के रास्ते बनाना महत्वपूर्ण है. हमें उम्मीद है कि लेडी लॉयर्स ग्रुप इस दिशा में कार्य करेगा."

एक समाचार रिपोर्ट पर बात करते हुए, भसीन ने आगे कहा, "पिछले तीन वर्षों में तेरह लाख लापता महिलाओं और लड़कियों की हालिया रिपोर्ट की ओर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है. हमें केवल उच्च वर्ग पर ध्यान केंद्रित करके महिला सशक्तिकरण के महत्व को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, बल्कि इसके बजाय , हमें इन महिलाओं और लड़कियों के व्यापक संदर्भ पर विचार करना चाहिए और कारगर कदम उठाने चाहिए."

जिया मोदी, चेयरपर्सन, SILF लेडीज ग्रुप ने कहा, "महिला वकील एक बड़ी ताकत हैं, लेकिन पुरुष और महिला दोनों के रूप में हम सभी का अधिक महत्वपूर्ण मिशन यह सुनिश्चित करना है कि हमारी महिला वकीलों को आगे बढ़ाया जाए और वे साझेदारी तक पहुंचने तक हमारे साथ बरकरार रहे. आज, कानूनी पेशे के लिए जो सबसे महत्वपूर्ण चीज है वह है प्रतिभा. महिलाएं उस प्रतिभा का एक बड़ा हिस्सा हैं. मुझे लगता है कि यह एक दशक है जहां महिला वकीलों को पहले से भी अधिक मान्यता और सराहना मिलेगी. मैं इस समारोह की सफलता की कामना करता हूं."

"महिला वकील दिवस" की सफलता कानूनी क्षेत्र में महिलाओं के अमूल्य योगदान की पुष्टि करता है और यह एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है. SILF और SLG कानूनी पेशे में महिलाओं का समर्थन करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं और भविष्य में इस तरह के और कार्यक्रम आयोजित करने के लिए तत्पर हैं.

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Edited by रविकांत पारीक