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घर का बना खाना facebook के माध्यम से आप की अंगुलियों पर

56 साल की ‘विजय हल्दिया’ लोगों को बताती हैं खाना बनाने की रेसिपीज

घर का बना खाना facebook के माध्यम से आप की अंगुलियों पर

Monday August 17, 2015 , 6 min Read

घर के खाने जैसा खाना कहीं नही होता है|

यहाँ तक की आप विश्व के सबसे बेहतर कुक से भी पूछेंगे तो वह भी माँ के हाथ के बने खाने को सबसे अच्छा कहेंगा| खाना हमारी पहचान, हमारी जड़ है और सबसे महत्वपूर्ण खाना हमें हमारी माँ की याद दिलाता है|

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56 साल की विजय हल्दिया जो जोधपुर में रहती हैं खाना पकाने के अपने शौक को टेक्नोलॉजी की मदद से पूरी दुनिया के साथ साझा कर रही हैं| उन्होंने अपनी सफलता के रास्तें में उम्र और टेक्नोलॉजी को नही आने दिया है|

पिछलें अगस्त में विजय अपनी बेटी से मिलने अमेरिका गयी तो उन्होंने महसूस किया कि उनकी बेटी की दोस्त और अन्य भारतीय परिवार जो अपने घर से दूर इस विदेशी जमीन पर रहा रहे हैं वे ऑनलाइन उपलब्ध रेसिपीज का उपयोग करते हैं| यही स्थिति भारत में रहने वाले छोटे परिवारों के साथ भी है|

इस विषय से लगाव होने के कारण उनकी बेटी ने उन्हें ऑनलाइन खाने की रेसिपीज के बारे में अपनी सलाह देने का सुझाव दिया| जो घर से दूर रह रहे लोगों के लिए मददगार था| और इस प्रकार “जायका का तड़का” का जन्म हुआ|

आज “जायका का तड़का” और इसी नाम से बने फेसबुक पेज के साथ बहुत से लोग जुड़े हैं| यह उनकी कड़ी मेहनत का सबूत है|

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विजय के अनुसार, रेसिपीज अच्छी और बनाने में आसान हैं और सामग्री आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं| वह रेसिपी को स्वयं बनाती हैं और अगर वह उनके मानक पर खरा उतरता है तो उसे साझा भी करती है| वह सामग्री और रेसिपीज की नोट्स की फोटो लेती हैं| खाना बनाना ‘खाने को बर्बाद’ नही करना है| उनके द्वारा बचे हुए खाने की रेसिपी उनके फोल्लोवेर्स द्वारा काफी पसंद की जा रही है|

“मैं एक ऐसी रेसिपी बनाना चाहती थी जो बचे हुए खाने से बन सके और स्वादिस्ट भी हो| जिससे खाना बेकार न रहे|”

उनका मंत्र ‘एक रेसिपी एक दिन बनाने’ का है| वह कहती हैं, 

“एक ऐसा समय भी था जब मेरी रेसिपी का कोई जवाब नही आता था लेकिन मैंने हमेंशा काम पर ध्यान दिया, परिणाम पर नही| यदि कोशिश सही दिशा में की जाये तो परिणाम अच्छा ही होता है| मैं हमेशा अपना बेहतर देती थी और मुझे विश्वास था कि भाग्य हमेशा बहादुरों का साथ देता है|”

खाना हमेशा से विजय की जिंदगी का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है| संयुक्त परिवार में पली-बड़ी विजय बचपन से ही किचन में अपनी माँ की मदद करती थी| “मेरी माँ मेरी प्रेरणा रही हैं|” उनका कुकिंग के प्रति लगाव शौक से कहीं ज्यादा था और इस लगाव के चलते उन्होंने होमसाइंस में बीए किया| उनका परिवार 75 सालों से मसालों के व्यापार और उन्हें बनाने के बिज़नस में था इसलिए विजय को पता था कि मसालें कैसे बनते हैं| 

“मेरी इस पृष्ठभूमि ने स्वाद को लेकर एक समझ को विकसित किया जिसके माध्यम से मसालों को खाने में उपयोग करना आसान हो गया|”

विजय की जिंदगी और वेंचर में नयापन है| शायद यह उनके अनुभव और उम्र में परिपक्वता के कारण है| इस उम्र में शुरुआत के बारे में बात करने पर वह कहती हैं, 

“यह शुरू से ही प्रोत्साहित करने वाला था पर मैं कहूँगी कि परिणाम आने में समय लगता है| मेरा हमेशा यह मानना है कि लोग अगर आप के काम को नकारात्मकता से देखते हैं तो इसका मतलब ये नही कि उनका उद्देश्य बुरा है| इसका मतलब यह है कि उन्होंने दुनिया को दुनिया की नजर से देखा है| यह आप पर निर्भर करता है कि आप अपने दिल की सुनते हैं या फिर दूसरों के दिल की|”

उनका मानना है कि आलोचना से आप को पता चलता है की आप सही रास्ते पर है कि नही| इससे यह भी पता चलता है कि कितने लोग आपके काम को नोटिस कर रहे हैं|

सबसे बड़ी चुनौती पाठकों की मांग पर रेसिपी को बनाना था जो उन्होंने अपने पाठकों सेखुद पूछा था| इसकी सूची लम्बी थी| मांग को पूरी करने के लिए वह एक दिन में चार रेसिपी बनाती थी| यह उनके लिए एक चुनौती थी| वह कहती हैं, “मैंने इसका बहुत आनदं लिया|”

जब जायका का तड़का के लिए रेसिपी के लिए मदद की बात आती है तो विजय सब काम स्वयं करना पसंद करती हैं| काटने से लेकर खाना बनाने तक और व्यंजनों के पिक्चर क्लीक करने तक, सब काम वह स्वयं करती हैं| उनके रिटायर पति उनका टेक्नोलॉजी में मदद करते हैं|

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हमारी माँ की पीढ़ी के समय टेक्नोलॉजी नही थी| इस पीढ़ी की महिलाओं के लिए टेक्नोलॉजी अनंत है| विजय ने अपनी फैमिली के सहयोग से टेक्नोलॉजी के बारे में जाना| जो उनके काम में उनके लिए लाभदायक है|

“समय के साथ बदलना अच्छा है और यही मैंने भी किया| हम सब को बदलना चाहिए विशेषरूप से हमारी पीढ़ी की महिलाओं को| महिलाओं के लिए टेक्नोलॉजी एक उपहार है जो सही समय में आया है| भारत में महिलाये घर के साथ-साथ बाहर भी अपनी जिम्मेदारी संभाल रही हैं| वे घर और काम के बीच में संतुलन बनाने की कोशिश कर रही हैं| उनके पास हमेशा से आईडिया थे पर टेक्नोलॉजी की कमी के कारण वे उन्हें लागू नही कर सके| आज की टेक्नोलॉजी के माध्यम से उन्होंने अपने आईडिया को लागू करने का रास्ता ढूढ़ लिया है| यह एक फायदा है| दिमाद में कहीं न कहीं, मुझे लगता है अगर यह पहले हो जाता तो जिंदगी में आगे बढ़ने में सक्षम हो जाते, लेकिन देर आए दुरुस्त आए|”

उन्होंने कहा कि वह जो आज कर रही हैं वह नही करती तो उन्हें पछतावा होता| सहयोग और सकारात्मक फीडबैक उन्हें प्रेरणा देता है| लेकिन वह कहती हैं कि नकारात्मक प्रतिकिया उन्हें गलतियों को सुधारने के लिए प्रोत्साहित करतें हैं|

यह विजय के लिए शुरुआत है| बहुत सी चीजे भविष्य में उनके साथ होने वाली हैं| वह कहती हैं, 

“बहुत जल्दी हम अपनी वेबसाइट लांच करने वाले हैं| हम और भी विकल्पों के बारे में सोच रहे हैं जैसे- रेस्टोरेंट खोलना, भोजन प्रेमियों के लिए मोबाइल एप्प लांच, खाने के बारे में ई-बुक बनाना इत्यादि| आप को काम करते रहना चाहिए और बाकी भाग्य पर छोड़ देना चाहिए| जिंदगी अपने हिसाब से करवट लेगी और यह अच्छे के लिए होगा| इसलिए मेरी तरफ से, मैं अपने जुनून को पूरा करने के लिए कठिन मेहनत कर रही हूँ और एक समय में एक काम पर ध्यान दे रही हूँ|”