72% कंपनियों में 2024 की दूसरी छमाही में फ्रेशर्स को मिलेगी जॉब: रिपोर्ट
टीमलीज़ एडटेक की कॅरियर आउटलुक रिपोर्ट भारत की 603 से ज़्यादा कंपनियों के सर्वे पर आधारित है और यह दर्शाती है कि ग्रेजुएट्स के लिए नौकरी पाना अब पहले से आसान हो सकता है.
टीमलीज़ एडटेक (TeamLease Edtech) ने हाल ही में अपनी ‘कॅरियर आउटलुक रिपोर्ट - जुलाई- दिसंबर 2024 को जारी की है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि आने वाले कुछ महीनों में 72% कंपनियां नए लोगों यानी फ्रेशर्स को नौकरी देने की योजना बना रही हैं. यह रिपोर्ट भारत की 603 से ज़्यादा कंपनियों के सर्वे पर आधारित है और यह दर्शाती है कि ग्रेजुएट्स के लिए नौकरी पाना अब पहले से आसान हो सकता है.
भर्ती की योजना बनाने वाली 72% कंपनियों का यह आंकड़ा पिछली छमाही से 4% और 2023 की इसी अवधि से 7% अधिक है, जिससे नई प्रतिभाओं के लिए नौकरी के अवसरों में सुधार हो रहा है.
टीमलीज़ एडटेक के फाउंडर और सीईओ शांतनु रूज ने कहा, "फ्रेशर्स को नौकरी पर रखने की इच्छा बढ़ना एक सकारात्मक संकेत है. इससे यह साफ होता है कि कंपनियां फ्रेशर्स पर भरोसा कर रही हैं और वे अपने कॅरियर की शुरुआत के लिए अच्छे मौके तलाश रहे हैं."
एक रिपोर्ट के अनुसार, जो कंपनियां नए लोगों को नौकरी पर रखना चाहती हैं, उनमें सबसे ज्यादा ई-कॉमर्स और टेक्नोलॉजी स्टार्ट-अप्स, इंजीनियरिंग और इन्फ्रास्ट्रक्चर, और रिटेल कंपनियां शामिल हैं. इनमें से 61% इंटरनेट से जुड़ी कंपनियां, 59% इंजीनियरिंग और इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी कंपनियां, और 54% रिटेल कंपनियां नए लोगों को नौकरी देने की योजना बना रही हैं. शहरों की बात करें तो, बेंगलुरु सबसे आगे है, जहां 74% नियोक्ता नए लोगों को नौकरी पर रखना चाहते हैं, जबकि मुंबई में 60% और चेन्नई में 54% नियोक्ता नए लोगों को नौकरी पर रखने की योजना बना रहे हैं.
पदों की बात करें तो, फुल स्टैक डेवलपर, एसईओ एक्जीक्यूटिव, डिजिटल सेल्स एसोसिएट और यूआई/यूएक्स डिजाइनर जैसी भूमिकाओं की नए लोगों के लिए सबसे ज्यादा मांग है. खासकर, कंपनियां साइबर सिक्योरिटी, क्लाउड कंप्यूटिंग, डेटा एनालिटिक्स और सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन में कुशल उम्मीदवारों की तलाश में हैं. यह रिपोर्ट उद्योग और शिक्षा के बीच बढ़ते सहयोग के महत्व पर भी जोर देती है. 70% कंपनियां पाठ्यक्रम को व्यावहारिक अनुभव के साथ बेहतर बनाने की सलाह देती हैं, जबकि 62% कंपनियां उद्योग और शिक्षा के साझेदारी की वकालत करती हैं ताकि शैक्षणिक प्रशिक्षण को उद्योग की जरूरतों के अनुरूप बनाया जा सके. इसके अलावा, डिग्री अप्रेंटिसशिप की मांग भी स्थायी रूप से बढ़ रही है. इसमें मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र सबसे आगे है, जहां 25% नियोक्ता डिग्री अप्रेंटिस को नौकरी पर रखने की योजना बना रहे हैं. इसके बाद 19% नियोक्ताओं के साथ इंजीनियरिंग और इन्फ्रास्ट्रक्चर, और 11% के साथ कंस्ट्रक्शन और रियल एस्टेट का स्थान है. शहरों की बात करें, तो बेंगलुरु 25% नियोक्ताओं के साथ सबसे आगे है, इसके बाद चेन्नई 21% और मुंबई 16% के साथ आते हैं.
शांतनु ने आगे कहा, "पढ़ाई के कार्यक्रम ऐसे होने चाहिए जो उद्योगों की जरूरतों के अनुरूप हों. आजकल नौकरी पाना चुनौतीपूर्ण हो गया है, और इस मुश्किल को हल करने के लिए हमें कंप्यूटर और इंटरनेट से जुड़े कौशल में माहिर होना चाहिए. हमें ऐसे लोगों की जरूरत है जो नए-नए समाधान ढूंढ सकें और कठिन समस्याओं को आसानी से हल कर सकें. इसलिए शिक्षा संस्थानों और उद्योगों को मिलकर काम करना चाहिए. आजकल कई लोग डिग्री के साथ-साथ काम का अनुभव भी हासिल करना चाहते हैं, जिससे साफ होता है कि पढ़ाई के दौरान ही हमें व्यावहारिक चीजें सीखनी चाहिए. यह एक अच्छा समय है, क्योंकि अब पढ़ाई को उद्योगों की जरूरतों के अनुसार ढाला जा रहा है."
एम्प्लॉयबिलिटी बिजनेस के हेड और टीमलीज़ एडटेक के सीओओ जयदीप केवलरामानी ने बताया, "जुलाई से दिसंबर 2023 के बीच नई नौकरी करने वालों की मांग में 7% की बढ़ोतरी हुई है. इसका मतलब है कि लोग नौकरी पाने के लिए पहले से ज्यादा उत्सुक हैं. अलग-अलग तरह की नौकरियों की भी मांग बढ़ रही है, जिससे साफ होता है कि नौकरी का बाजार अब पहले से बेहतर हो रहा है. जो लोग अभी पढ़ाई कर रहे हैं, उन्हें कंप्यूटर और इंटरनेट से जुड़े कौशल सीखने चाहिए. इसके साथ ही, पढ़ाई के दौरान उन्हें विभिन्न कामों का अनुभव भी हासिल करना चाहिए. इससे उनके लिए भविष्य में अच्छी नौकरी मिलने की संभावना बढ़ जाएगी."