Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
ADVERTISEMENT
Advertise with us

सुरक्षा और जागरूकता का वादा पूरा कर रहीं महिला पुलिसकर्मी

कर्नाटकः इस ऐतिहासिक वीरांगना के नाम पर पुलिस ने बनाया ख़ास महिला स्कवॉड

सुरक्षा और जागरूकता का वादा पूरा कर रहीं महिला पुलिसकर्मी

Tuesday August 21, 2018 , 4 min Read

कर्नाटक के 18वीं सदी के इतिहास में ओनेक ओबावा की अपनी एक ख़ास जगह है और चित्रदुर्ग ज़िले के लोग उनका बेहद सम्मान करते हैं। दरअसल, ओनेक ओबावा एक ऐसी वीरांगना थीं, जिन्होंने 18वीं शताब्दी में चित्रदुर्ग राज्य (तत्कालीन) की रक्षा हेतु हैदर अली की सेना से अकेले लोहा लिया था और वह भी मूसली को अपना हथियार बनाकर।

image


इस विशेष स्कवॉड की कमान चार असिस्टेंट सब इन्सपेक्टरों (ASIs) को दी गई है और इनके साथ 45 महिला पुलिस कॉन्सटेबलों की टीम है। इस स्कवॉड की एक और ख़ास बात यह है कि ये सभी महिला पुलिस कॉन्सटेबल 40 साल से कम उम्र की हैं।

क्या आप जानते हैं कि कर्नाटक के चित्रदुर्ग ज़िले में एक ख़ास पुलिस स्कवॉड है, जिसमें सिर्फ़ महिला पुलिसकर्मी हैं और यह स्कवॉड महिला सुरक्षा को सुनिश्चित करने के साथ-साथ स्कूलों और अन्य जगहों पर जागरूकता फैलाने का काम भी करता है? अब आपके ज़हन में सवाल उठ रहा होगा कि इस पुलिस स्कवॉड का नाम ओबावा पेड क्यों रखा गया और यह ओबावा कौन हैं? आपको बता दें कि कर्नाटक के 18वीं सदी के इतिहास में ओनेक ओबावा की अपनी एक ख़ास जगह है और चित्रदुर्ग ज़िले के लोग उनका बेहद सम्मान करते हैं। दरअसल, ओनेक ओबावा एक ऐसी वीरांगना थीं, जिन्होंने 18वीं शताब्दी में चित्रदुर्ग राज्य (तत्कालीन) की रक्षा हेतु हैदर अली की सेना से अकेले लोहा लिया था और वह भी मूसली को अपना हथियार बनाकर।

ओनेक ओबावा के स्वर्णिम इतिहास को ध्यान में रखते हुए कर्नाटक पुलिस ने अपने इस ख़ास स्कवॉड का नाम, ओनेक के नाम पर रखा। न्यूज़ रिपोर्ट्स के मुताबिक़, ओबावा पेड स्कवॉड का लक्ष्य है कि पूरे क्षेत्र में महिलाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जाए और साथ ही, राज्य में महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराधों से लड़ने के लिए महिलाओं को मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार किया जाए। इस स्कवॉड का यह भी उद्देश्य है कि महिलाओं को उनके अधिकारों और शक्तियों के संबंध में जागरूक बनाया जाए।

न्यूज़ वेबसाइट ‘द बेटर इंडिया’ में छपे एक लेख के मुताबिक़, चित्रदुर्ग के एसपी श्रीनाथ जोशी का कहना है, "पूरे ज़िले में महिला पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है ताकि क़ानून व्यवस्था को बनाया रखा जा सके और महिलाओं को जागरूक किया जा सके।"

इस विशेष स्कवॉड की कमान चार असिस्टेंट सब इन्सपेक्टरों (ASIs) को दी गई है और इनके साथ 45 महिला पुलिस कॉन्सटेबलों की टीम है। इस स्कवॉड की एक और ख़ास बात यह है कि ये सभी महिला पुलिस कॉन्सटेबल 40 साल से कम उम्र की हैं। ये महिला पुलिसकर्मी सार्वजनिक जगहों पर महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों की रोकथाम के लिए प्रतिबद्ध हैं और इन्हें आत्मरक्षा के लिए ख़ासतौर पर प्रशिक्षित किया गया है।

ओबावा स्कवॉड की दो टीमें ज़िला मुख्यालयों में तैनात हैं और इसके अलावा, चित्रदुर्ग ज़िले की होललकेरे, छल्लाकेरे और हिरियुर तालुकाओं में भी एक-एक टीम तैनात हैं। एसपी जोशी ने बताया, "इस स्कवॉड की शुरुआत करने के पीछे हमारा उद्देश्य था कि समाज में महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों नकेल कसी जा सके और साथ ही, महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक कर और भी सशक्त बनाया जा सके। चित्रदुर्ग ज़िले में और ख़ासतौर पर ग्रामीण इलाकों में जातिगत भेदभाव और उससे जुड़ी दुर्घटनाएं, क़ानून व्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती हैं। साथ ही, इन क्षेत्रों में जागरूकता का स्तर भी न के बराबर है।"

यह स्कवॉड महिलाओं को सिखाता है कि किस तरह से वे अपनी आत्मरक्षा कर सकती हैं; उन्हें बच्चों के यौन शोषण और उसकी रोकथाम के लिए बने क़ानून (POSCO), भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत आने वाले अपराधों, साइबर और मोबाइल क्राइम इत्यादि के बारे में भी जानकारी दी जाती है। यह स्कवॉड स्कूलों, ग्राम पंचायतों, सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं (आशा कार्यकर्ता) और स्त्री शक्ति समूहों आदि के साथ मिलकर भी सामाजिक कार्य करता है।

इस मुहिम की अप्रैल महीने में बेंगलुरु (पश्चिमी संभाग) से एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरुआत की गई थी। बेंगलुरु शहर के बस स्टैंड्स को महिलाओं के लिए पूरी तरह से सुरक्षित बनाने में इस स्कवॉड ने बेहद अहम भूमिका निभाई। कुछ वक़्त पहले तक, इस क्षेत्र में असामाजिक तत्वों से महिलाएं बेहद परेशान थीं और फ़ूट-ओवर ब्रिज जैसी जगहों से निकलना नामुमकिन सा था क्योंकि इन जगहों पर सेक्स वर्कर्स मौजूद रहते थे।

एक पुलिस इंसपेक्टर ने जानकारी दी कि इस स्कवॉड में विभिन्न पुलिस स्टेशनों से 10 विकलांग महिला कॉन्सटेबलों को भी शामिल किया गया है। साथ ही, असामाजिक तत्वों के मन में डर बनाए रखने के लिए, स्कवॉड की सभी महिलाएं एक ख़ास तरह की यूनिफ़ॉर्म में रहती हैं।

यह भी पढ़ें: दृष्टिहीन लोगों के जीवन को आसान बना सकता है राजकोट बच्चों का यह आइडिया