Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

कहानियों द्वारा आने वाली पीढ़ी को बेहतर बनने में जुटे 'STORYWALLAHS'

कहानी कहने की कला को तकनीक के साथ बनाया और भी मनोरंजक...थिएटर और विज्ञापनों की दुनिया के जाने-माने नाम अमीन हक़ का अनूठा प्रयास ला रहा है रंग...पारंपरिक शिक्षा के स्थान पर कहानियों से बच्चों को पढ़ाने पर देते हैं जोर...2012 में शुरू हुई ‘स्टोरीवालाज़’ आज दुनियाभर में कहानी के क़द्रदानों में हैं मशहूर...

कहानियों द्वारा आने वाली पीढ़ी को बेहतर बनने में जुटे 'STORYWALLAHS'

Tuesday November 22, 2016 , 6 min Read

कहानियों में नई खोज, परिवर्तन और उलटफेर करने की एक जन्मजात शक्ति होती है। आप चाहे किसी भी माहौल या परिस्थिति में हों, कहानियों में कुछ ऐसी जादुई शक्ति होती है जो लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करती है। ‘स्टोरीवालाज़’ का मानना है कि कहानियों में दुनिया के इतिहास को बनाने और बदलने के अलावा परिवर्तन के लिये प्रेरित करने की शक्ति है और ये लोगों को शिक्षित और प्रेरित करने का एक बहुत अच्छा जरिया हैं।


image


‘‘कहानियों से हमारा सामना जीवन के लगभग हर मोड़ पर होता है और हमारी जिंदगी को संवारने या बिगाड़ने में उनका एक मुख्य किरदार होता है। हमारी विचारधारा, हम किस नेता या राजनीतिक पार्टी को चुनें, हमारा भविष्य और यहां तक जीवन साथी के चुनाव तक, कहानियां हमारे जीवन के हर निर्णय को परिभाषित करती हैं।’’ यह कहना है ‘स्टोरीवालाज़’ के मुख्य कहानीकार अमीन हक़ का। कहानियों के द्वारा मनोरंजक रूप से ज्ञान की बातें परोसने के इरादे से शुरू हुई यह संस्था अपने मिशन में कामयाब रही है और वह नई पीढ़ी तक अपनी बात पहुंचाने के उद्देश्य में सफल हो रही है।

थिएटर और विज्ञापन जगत से जुड़े अपने काम के दौरान अमीन को अहसास हुआ कि कहानियां किसी के भी जीवन के लिये कितनी महत्वपूर्ण और प्रभावशाली होती हैं। अमीन कहते हैं कि ‘‘इसी दौरान मैंने सबसे बेहतर कहानी वाले व्यक्ति या ब्रांड या संस्था को विजेता के प्रतिरूप में देखना शुरू कर दिया था। इसके अलावा मैं नेतृत्व और कहानी कहने की कला के बीच पारस्परिक संबंध को भी देख पा रहा था,’’ । इसी दौरान उन्होंने कहानियों की शक्ति को एक व्यावसायिक रूप में इस्तेमाल करने का निर्णय लिया। इसके अलावा उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र को भी एक बड़े अवसर के रूप में देखा। ‘‘मैंने शिक्षा के क्षेत्र में भी कहानियों की महत्ता को महसूस किया। मेरा अनुभव कहता था कि हम अपने नौनिहालों को पुराने ढर्रे की शिक्षा देने के स्थान पर कहानियों की मदद से अधिक बेहतर तरीके से शिक्षित कर सकते हैं।’’

image


अमीन हमेशा से ही कहानियों, पौराणिक कथाओं और प्रतीकचिन्हों से हमारे निर्णयों को प्रभावित करने की क्षमता के मुरीद रहे। गुजरात में पले-बढ़े होने के कारण कहानियों और कथाओं का उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण योगदान रहा। ‘‘एक अतिउत्सुक पाठक होने की वजह से मैं हमेशा से ही कहानियों के प्रति आकर्षित रहा।’’

स्कूल के दिनों में ही अमीन की कहानियों के प्रति दीवानगी उन्हें थियेटर की दुनिया में ले गई और उन्होंने नौंवी कक्षा में नाटकों की दुनिया में कदम रखा। ‘‘वह मेरे द्वारा निदेर्शित एक नाटक था। पीछे मुड़कर देखने पर मैं अपने उस निर्देशन कौशल पर बहुत शर्मिंदा होता हूँ। सौभाग्य से उस समय कोई मुझे सिखाने वाला नहीं था तो मैं अभ्यास के साथ और बेहतर होता गया,’’ अमीन याद करते हैं। स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद वे विश्वविद्यालय गए और सौभाग्य से वहां के थिएटर निर्देशक ने उनकी काबलियत को भांपते हुए उनका हाथ थामा।

जल्द ही अमीन ने एमआईसीए(MICA) से विज्ञापन में एक कोर्स सफलतापूर्वक पूरा किया और मुंबई की ओगिल्वी एंड माथर नामक कंपनी में नौकरी करने लगे। ‘‘प्रारंभ में मैं एक प्रशिक्षु के रूप में काम कर रहा था और उस समय का एक किस्सा मुझे अब भी याद है। एक दिन मैं शौचालय में गया तो मैं अपने पड़ोस में खड़े शख्स को देखकर चौंक गया। मेरे पड़ोस में विख्यात क्रिएटिव डायरेक्टर सोनल डबराल खडे थे।’’

सोनल डबराल उस समय मशहूर टीवी सीरियल ‘फौजी’ में अपने काम की वजह से एक जाना पहचाना चेहरा थे। ‘‘उन्हें देखकर मेरे मन में ख्याल आया कि जब क्रिएटिव डायरेक्टर जैसा व्यस्त व्यक्ति अभिनय के लिये समय निकाल सकता है तो मैं थियेटर क्यों जारी नहीं जा सकता। मैंने अपने वरिष्ठों से इस बारे में बात की और मुझे इसकी अनुमति मिल गई।’’

जल्द ही अमीन मुंबई के मशहूर थिएटर ग्रुप ‘अंकुर’ का हिस्सा बन गए जो नुक्कड़ नाटक करने के अलावा व्यवसायिक नाटकों के लिये भी जाने जाते थे। ‘‘उस समय मैं एक ऐसा कुंवारा नौजवान था जो दुनिया की सबसे अच्छी विज्ञापन एजेंसी में नौकरी करने के अलावा थियेटर का शौक भी पूरा कर रहा था। यह सब एक सपने के सच होने जैसा था।’’

दो साल बाद अमीन अपनी पुरानी नौकरी छोड़कर मैकेन एरिक्सन में शामिल हो गए। ‘‘अगर आप स्वरूप पर नजर डालें तो मैं विज्ञापन और थियेटर दोनों कर रहा था और दोनों की कहानी कहने के अलग-अलग मंच हैं।’’ अमीन का मानना है कि विज्ञापन का काम एक ऐसी चुनौती है जो आपको लोगों को प्रभावित करने का तरीका सिखाता है। ‘‘थियेटर करने के दौरान मैंने कहानी कहने की कला और उसके दौरान शारीरिक हावभाव के इस्तेमाल को बारीकी से जाना और विज्ञापन जगत ने मुझे इसे मूर्त रूप देने में मदद की।’’

इस दौरान अमीन लगातार कुछ नया सीखने का प्रयास करते रहे और एफटीआईआई और नेशनल फिल्म आर्काईव्ज़ आॅफ इंडिया से फिल्म एप्रीसिएशन में एक कोर्स पूरा किया। ‘‘देवदत्त पटनायक के साथ की गई एक कार्यशाला ने मुझे पौराणिक कथाओं से दोबारा जुड़ने के लिये प्रेरित किया। इस तरह से कहानी कहने की कला के विभिन्न पहलू मेरे जीवन का अभिन्न हिस्सा बनते जा रहे थे।’’ जल्द ही अमीन मुंबई को छोड़कर बैंगलोर आ गए और विज्ञापन और थिएटर की दुनिया से जुड़े रहे। 2012 में उन्होंने यहीं पर ‘स्टोरीवालाज़’ की नींव रखी।

‘स्टोरीवालाज़’ के द्वारा वे शिक्षा के क्षेत्र में एक नया दौर लेकर आए हैं।अमीन पूछते हैं कि ‘‘क्या आपको पाइथागोरस प्रमेय याद है और अब आप उसे समझा सकते हैं? आपको आर्किमिडीज सिद्धांत याद है? नहीं? खरगोश और कछुआ या बंदर और टोपी वाले की कहानी के बारे में आपका क्या विचार है? आखिर इन सदियों पुरानी कहानियों में ऐसा क्या है जो वे अब भी आपको याद हैं और आप उन चीजों को भूल गए हैं जिन्हें याद रखने के लिये आपने बार-बार और कई बार अभ्यास किया था?’’

image


‘स्टोरीवालाज़’ का विश्वास है कि शिक्षक और छात्र की पसंद या नापसंद वाले विषय के बीच पारस्परिक संबंध है। अमीन कहते हैं‘‘अगर शिक्षक कहानी सुनाने वाले अंदाज में बच्चों को पढ़ाएं तो वे सभी विषयों में पूरी रुचि दिखाएंगे। गणित, विज्ञान, सामाजिक अध्ययन और इतिहास, हर विषय कहानियों के माध्यम से सिखाया जाना चाहिए,’’। शिक्षा के क्षेत्र में इस परिवर्तन को लाने के लिये ‘स्टोरीवालाज़’ शिक्षकों को कहानियों के माध्यम से पढ़ाने का प्रशिक्षण भी देता है। ‘स्टोरीवालाज़’ का मानना है कि कहानी कहने की कला को डाटा और विज्ञान के साथ जोड़कर उसे नई ऊँचाईयों तक पहुंचाया जा सकता है। ‘‘हम सूचना प्रौद्योगिकी के नवीनतम उत्पादों की सहायता से कहानियों को आमजन तक पहुंचाते हैं। इसके अलावा हम लोगों को अपने जीवन की कहानियों को भी दुनिया के सामने लाने के लिय प्रेरित करते हैं।’’

अंत में अमीन कहते हैं कि, ‘‘कहानियों ने हमारे डीएनए में बहुत गहराई तक अपनी जड़ें जमाई हुई हैं और उनका हमारी रोजमर्रा की जिंदगी से बहुत गहरा नाता है और आधुनिकता इन्हें हमसे नहीं छीन सकती है।’’