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इस ट्रांसमेन ने बॉडीबिल्डिंग चैंपियनशिप जीतकर दिया करारा जवाब

इस ट्रांसमेन ने बॉडीबिल्डिंग चैंपियनशिप जीतकर दिया करारा जवाब

Friday December 14, 2018 , 3 min Read

26 वर्षीय ट्रांसमेन आर्यन पेशे से वकील हैं। ट्रांसमेन होने की वजह से उन्हें बचपन से ही मानसिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ा। लेकिन उन्होंने बॉडीबिल्डिंग चैंपियनशिप जीतकर विजय हासिल कर ली है।

आर्यन पाशा (तस्वीर साभार- इंस्टाग्राम)

आर्यन पाशा (तस्वीर साभार- इंस्टाग्राम)


उन्होंने भारत के भी कुछ बॉडीबिल्डिंग चैंपियनशिप में हिस्सा लिया और जीत भी हासिल की। हालांकि भारत में ट्रांसजेंडर्स के लिए ऐसी कोई चैंपियनशिप नहीं होती इसलिए उन्हें अमेरिका जाना पड़ा।

हम सभी को जिंदगी के किसी न किसी मोड़ पर ऐसे हालात का सामना करना पड़ता है जब हमारी क्षमता और काबिलियत पर सवालिया निशान उठाए जाते हैंठ। इस हालत में खुद को सकारात्मक रख पाना काफी मुश्किल होता है। हमारे मन में कई तरह के सवाल खड़े हो जाते हैं। उस स्थिति में सबसे बेहतर होता है कि हम इन बातों पर ध्यान न देकर कुछ ऐसा कर जाएं जिससे सब की बोलती बंद हो जाए। दिल्ली के रहने वाले आर्यन की कहानी कुछ ऐसी ही है।

26 वर्षीय ट्रांसमेन आर्यन पेशे से वकील हैं। ट्रांसमेन होने की वजह से उन्हें बचपन से ही मानसिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ा। लेकिन उन्होंने बॉडीबिल्डिंग चैंपियनशिप जीतकर विजय हासिल कर ली है। उन्होंने इसी महीने 1 दिसंबर को मसल मेनिया कॉन्टेस्ट में दूसरा स्थान हासिल किया। ऐसा करने वाले वह भारत के पहले ट्रांसमेन बन गए हैं। आर्यन बताते हैं कि फेसबुक पर उन्हें अमेरिका में होने वाली इस बॉडीबिल्डिंग प्रतियोगिता के बारे में मालूम चला था।

वे बताते हैं, 'जिंदगी में मिली असफलताओं ने मुझे हमेशा मजबूत किया और मैंने खुद पर ध्यान केंद्रित करना शुरू किया। मैंने भारत के सभी बॉडीबिल्डिंग असोसिएशन और फेडरेशन को पत्र लिया। हर जगह से मुझे सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली।' इससे उनके अंदर और भी बेहतर करने का हौसला आया। उन्हें इस बात की संतुष्टि हो गई थी कि यहां तो कम से कम उनके साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा।

हालांकि आर्यन को बॉडीबिल्डिंग के लिए किसी भी सामान्य पुरुष से ज्यादा मेहनत करनी पड़ी क्योंकि उनका शरीर टेस्टोसटेरोन का उत्पादन करने में उतना सक्षम नहीं था। उन्होंने भारत के भी कुछ बॉडीबिल्डिंग चैंपियनशिप में हिस्सा लिया और जीत भी हासिल की। हालांकि भारत में ट्रांसजेंडर्स के लिए ऐसी कोई चैंपियनशिप नहीं होती इसलिए उन्हें अमेरिका जाना पड़ा। अब आर्यन को भरोसा हो गया है कि एक दिन भारत में भी ऐसी प्रतियोगिताएं आयोजित होंगी।

आर्यन को सबसे पहले 6 साल की उम्र में ट्रांसमेन का भेदभाव सहना पड़ा था। उन्होंने अपने पिता से कहने की कोशिश कि वे लड़कियों वाले कपड़े नहीं पहनना चाहते। उन्होंने अपना स्कूल भी बदलने की कोशिश की ताकि एक नई शुरुआत कर सकें। उस वक्त उन्होंने किसी को नहीं बताया था कि उनकी लैंगिग पहचान क्या है। 16 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपने घरवालों से बता दिया कि अब वे ऐसे नहीं रहना चाहते। 18 वर्ष की उम्र में आकर उन्होंने खुद को पूरी तरह से बदल दिया। आज आर्यन ने खुद को इतना काबिल बना दिया है कि उन्हें किसी की परवाह ही नहीं है।

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