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धरती के भगवान: मिलिये उस डॉक्टर से जो भिखारियों का मुफ्त में करता है इलाज

पुणे के डॉक्टर ने अपनी जिंदगी की भिखारियों के नाम...

आज लोग ईश्वर से मन्नत मांगते हैं कि उनके परिवार को बीमारी से बचाए रखें। क्योंकि बीमारी अपने साथ आर्थिक तबाही लेकर आती है। मध्यमवर्गीय परिवार ही की हालत अगर ऐसी है तो कल्पना की जा सकती है कि जिनके पास रहने को छत नहीं है, खाने को दो वक्त की रोटी मुश्किल से नसीब होती है, उनके लिए अपना इलाज कराना कितना मुश्किल होता होगा।

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एक डॉक्टर दंपती हैं पुणे के डॉ. अभिजीत और उनकी पत्नी मनीषा सोनवाने। ये दोनों डॉक्टर पति-पत्नी सोहम ट्रस्ट नाम से एक संगठन का संचालन करते हैं जो भिखारियों का मुफ्त में इलाज करता है। 

सदियों से डॉक्टर को धरती के भगवान का दर्जा हासिल है। लेकिन आधुनिक युग में डॉक्टरी का पेशा भी पैसे कमाने तक सीमित होकर रह गया है। हाल-फिलहाल में पैसों के लिए मरीजों की लाश तक को जब्त करने की घटनाएं इसका उदाहरण हैं। आज लोग ईश्वर से मन्नत मांगते हैं कि उनके परिवार को बीमारी से बचाए रखें। क्योंकि बीमारी अपने साथ आर्थिक तबाही लेकर आती है। मध्यमवर्गीय परिवार ही की हालत अगर ऐसी है तो कल्पना की जा सकती है कि जिनके पास रहने को छत नहीं है, खाने को दो वक्त की रोटी मुश्किल से नसीब होती है, उनके लिए अपना इलाज कराना कितना मुश्किल होता होगा।

अच्छी बात ये है कि हमारे समाज में अच्छे इंसान के रूप में कुछ डॉक्टर मौजूद हैं जो सिर्फ पैसे कमाने के पीछे नहीं भागते बल्कि गरीबों और बेसहारों का मुफ्त में इलाज करके इंसानियत को बचाने का काम भी करते हैं। ऐसे ही एक डॉक्टर दंपती हैं पुणे के डॉ. अभिजीत और उनकी पत्नी मनीषा सोनवाने। ये दोनों डॉक्टर पति-पत्नी सोहम ट्रस्ट नाम से एक संगठन का संचालन करते हैं जो भिखारियों का मुफ्त में इलाज करता है। डॉ. अभिजीत रोज सुबह धार्मिक स्थलों का चक्कर लगाते हैं और वहां बाहर बैठे भिखारियों का हाल-चाल लेते हैं। वहीं बीमार भिखारियों का मुफ्त में इलाज भी करते हैं।

अभिजीत की पत्नी डॉ. मनीषा सोनवाने

अभिजीत की पत्नी डॉ. मनीषा सोनवाने


इन जगहों पर अधिकतर ऐसे लोग होते हैं जो बेसहारा होते हैं और दिव्यांग भी। इस हालत में उनका इलाज तो दूर उन्हें दो वक्त की रोटी दिलाने वाला कोई नहीं होता है। डॉ. अभिजीत न केवल इनका इलाज करते हैं, बल्कि जरूरत पड़ने पर उन्हें सरकारी अस्पताल में भी भर्ती कराते हैं। इतना ही नहीं वे उनका सारा खर्च खुद ही उठाते हैं। एएनआई से बात करते हुए उन्होंने बताया, 'ये बुजुर्ग लोग आमतौर पर ऐसे लोग होते हैं जिन्हों अपनो ने ठुकरा दिया होता है। इस हालत में उनके पास भीख मांगने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचता। मैं इनका इलाज करने के साथ ही फ्री में दवाएं भी देता हूं।'

डॉ. अभिजीत अपने साथ ही दवाएं लेकर चलते हैं। वे सोमवार से शनिवार तक रोज सुबह 10 बजे से दोपहर 3 बजे तक यह काम करते हैं। इन जरूरतमंद लोगों के लिए डॉ. अभिजीत एक परिवार का हिस्सा बन गए हैं। उनकी पत्नी मनीषा भी डॉक्टर हैं और दोनों ने मिलकर 2014 में सोहम ट्रस्ट नाम से एक संगठन बनाया था जो ऐसे गरीबों और बेसहारों का मुफ्त का इलाज करता है। डॉ. अभिजीत कहते हैं, 'हमारा दायित्व बनता है कि हम समाज के लिए कुछ करें। समाज को कुछ वापस देने का यह मेरा तरीका है। मैं पहले इलाज करके इन्हें सही करता हूं फिर इनसे कहता हूं कि भीख मांगना छोड़कर कुछ ऐसा काम करें जिसमें थोड़ा सम्मान भी मिले।'

मोतियाबिंद का ऑपरेशन करवाने वाले भिखारी

मोतियाबिंद का ऑपरेशन करवाने वाले भिखारी


अभिजीत खुद को भिखारियों का डॉक्टर मानते हैं। उन्होंने कई बार कैंप लगाकर भिखारियों का मोतियाबिंद का ऑपरेशन भी करवाया है। वे इन भिखारियों को यह विश्वास दिला चुके हैं कि वे हमेशा उनके साथ हैं, चाहे कोई भी परिस्थिति आ जाए। भिखारी किसी तरह अपने खाने का जुगाड़ कर लेते हैं, लेकिन आज के दौर में अस्पताल का बिल भरना उनके बस में नहीं होता। अभिजीत का मकसद यही है कि बिना उनसे कुछ लिए उनकी सेवा की जाए क्योंकि कोई भी उनकी देखभाल करने वाला नहीं होता। अभिजीत का यह काम न केवल इंसानियत पर हम सबका भरोसा मजबूत कर रहा है बल्कि हम सबको समाज के लिए कुछ करने की प्रेरणा दे रहा है।

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