ये 4 सरकारी योजनाएं MSME को दे रही हैं 2 करोड़ रुपये तक की फंडिंग
यह बात लगभग सभी को पता है कि सस्ती पूंजी तक पहुंच की कमी MSME (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) क्षेत्र के सामने एक बड़ी चुनौती है। ऐसे में आज हम उन सरकारी योजनाओं के बारे में बता रहे हैं जो आपकी इस समस्या को कम कर सकती हैं। ये सरकारी योजनाएं व्यवसायों के वित्तपोषण में मदद करती हैं।
छोटे व्यवसाय और MSME (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं और देश के बेरोजगारी संकट को हल करने की कुंजी हो सकते हैं। भारत में MSME क्षेत्र 100 मिलियन से अधिक लोगों को रोजगार देता है और विनिर्माण उत्पादन का 45 प्रतिशत और देश के निर्यात का 40 प्रतिशत से अधिक हिस्सा यहीं से आता है।
संचालन को बनाए रखने और अंततः विस्तार करने के लिए, छोटे व्यवसायों को बड़ी मात्रा में पूंजी के रूप में पर्याप्त धन की आवश्यकता होती है। हालांकि, यह क्षेत्र वर्किंग कैपिटल की कमी और सस्ती पूंजी तक पहुंच की कमी का सामना कर रहा है। COVID-19 महामारी के मद्देनजर यह चुनौती और बढ़ गई है, जिसके कारण सप्लाई चेन में व्यवधान और क्रेडिट चक्र में विसंगतियां पैदा हुईं।
योरस्टोरी ने चार महत्वपूर्ण सरकारी योजनाओं की एक सूची तैयार की है जिसका लाभ उद्यमी अपने छोटे व्यवसायों और MSMEs को फंड करने करने लिए उठा सकते हैं।
क्रेडिट-लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी स्कीम
क्रेडिट-लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी स्कीम अक्टूबर 2000 में शुरू की गई थी। इस योजना का उद्देश्य क्रेडिट लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी स्कीम (CLCSS), हैंड-होल्डिंग जीरो डिफेक्ट जीरो इफेक्ट मैन्युफैक्चरिंग (ZED), अपशिष्ट में कमी, डिजाइन इंटरवेंशन, क्लाउड कंप्यूटिंग, इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी की सुविधा और नए विचारों को पोषित करके उत्पादकता बढ़ाने के साथ-साथ चल रहे टेक्नोलॉजी एडवांसमेंट प्रयासों को जोड़कर MSMEs की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा देना है।
यह स्कीम सूक्ष्म, खादी, गांव और कयर औद्योगिक इकाइयों सहित MSE को उनके द्वारा प्राप्त 1 करोड़ रुपये तक के संस्थागत वित्त पर, अच्छी तरह से स्थापित और बेहतर टेक्नोलॉजी को शामिल करने के लिए स्वीकृत 51 सब-सेक्टर/प्रोडक्ट्स में 15 प्रतिशत की एक अग्रिम पूंजी सब्सिडी प्रदान करती है।
इस स्कीम में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और महिलाओं के नेतृत्व वाले SME के लिए उद्यमिता को बढ़ावा देने और जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप जैसे द्वीप क्षेत्रों और आकांक्षी जिले पर ध्यान केंद्रित करने के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं।
स्कीम के तहत सब्सिडी का दावा करने के लिए पात्र MSE को प्राथमिक ऋणदाता संस्थानों (पीएलआई) के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन करना होगा, जहां से वे टर्म लोन प्राप्त करते हैं।
पूरा आवेदन पीएलआई द्वारा संलग्न नोडल एजेंसी को अपलोड किया जाता है, जो बदले में, सब्सिडी जारी करने के लिए डीसी (MSME) के कार्यालय को ऑनलाइन आवेदन की सिफारिश करता है।
आवेदन की प्रक्रिया के बाद और फंड की उपलब्धता के अधीन, सक्षम प्राधिकारी से आंतरिक फाइनेंस विंग की सहमति से उचित अनुमोदन प्रदान किया जाता है। इसके बाद, नोडल एजेंसियों को फंड जारी किया जाता है, जो पीएलआई को फंड ट्रांसफर करते हैं जहां MSE का खाता संचालित होता है।
सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट (CGTMSE)
MSME मंत्रालय, भारत सरकार और भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI) द्वारा संयुक्त रूप से स्थापित, यह योजना ऋण देने वाली संस्था को आश्वस्त करती है कि यदि कोई उधार लेने वाली MSE इकाई ऋणदाता को अपनी देनदारियों का निर्वहन करने में विफल रहती है, तो ट्रस्ट ऋण सुविधा के एक निश्चित प्रतिशत तक ऋणदाता द्वारा किए गए नुकसान को पूरा करेगा।
योजना के तहत, पात्र वित्तीय संस्थानों द्वारा नए और मौजूदा सूक्ष्म और लघु उद्यमों को 200 लाख रुपये (2 करोड़ रुपये) की सीमा तक विस्तारित कोलैटरल फ्री क्रेडिट (फंड और गैर-फंड-बेस्ड) फंड ट्रस्ट द्वारा कवर किए जाने के लिए पात्र है। इस स्कीम के तहत पात्र संस्थानों में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक/निजी क्षेत्र के बैंक/विदेशी बैंक) तथा चयनित क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (जिन्हें नाबार्ड द्वारा’ संवहनीय व्यवहार्य’ श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है, पात्र हैं।
योजना के तहत सूक्ष्म उद्यमों के लिए 5 लाख रुपये तक के ऋण पर 85 प्रतिशत की सीमा तक गारंटी कवरेज उपलब्ध है। गारंटी कवर खुदरा व्यापार गतिविधि के लिए प्रति MSE उधारकर्ता 10 लाख रुपये से 100 लाख रुपये तक के ऋण के लिए स्वीकृत राशि का 50 प्रतिशत है।
महिलाओं द्वारा संचालित और/या स्वामित्व वाले MSE के लिए गारंटी कवर की सीमा 80 प्रतिशत है। गारंटी 50 लाख रुपये तक की क्रेडिट सुविधाओं के लिए पूर्वोत्तर क्षेत्र (एनईआर) में सभी क्रेडिट/ऋणों पर भी लागू है।
पात्रता मानदंडों को पूरा करने वाले उम्मीदवार पात्र बैंकों, वित्तीय संस्थानों या चुनिंदा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों से संपर्क कर सकते हैं ताकि CGTSME के तहत ऋण के लिए आवेदन किया जा सके।
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP)
छोटे व्यवसायों की स्थापना के माध्यम से, इस योजना का उद्देश्य देश के विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों की एक स्थिर धारा उत्पन्न करना है। एक अन्य उद्देश्य वित्तीय संस्थानों को सूक्ष्म क्षेत्र को अधिक उधार देने की सुविधा प्रदान करना है।
18 वर्ष से अधिक आयु का कोई भी व्यक्ति इस योजना का लाभ उठा सकता है। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 10 लाख रुपये से अधिक और बिजनेस/सर्विस सेक्टर में 5 लाख रुपये से अधिक की लागत वाली परियोजनाओं के लिए व्यक्ति को कम से कम आठवीं कक्षा पास होना चाहिए।
निर्माण क्षेत्र में स्वीकार्य परियोजना/इकाई की अधिकतम लागत 25 लाख रुपये है और व्यापार/सेवा क्षेत्र में यह 10 लाख रुपये है। सामान्य वर्ग में अनुदान की दर (परियोजना लागत के प्रतिशत में) शहरी क्षेत्रों में 15 प्रतिशत तथा ग्रामीण क्षेत्रों में 25 प्रतिशत है।
अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग/अल्पसंख्यक/महिला, भूतपूर्व सैनिक, शारीरिक रूप से विकलांग, एनईआर, पहाड़ी और सीमावर्ती क्षेत्रों में यह दर शहरी क्षेत्रों में 25 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्रों में 35 प्रतिशत है। कुल परियोजना लागत की शेष राशि बैंकों द्वारा सावधि ऋण और कार्यशील पूंजी के रूप में प्रदान की जाती है।
KVIC के राज्य / मंडल निदेशक, KVIB और संबंधित राज्यों (DIC के लिए) के उद्योग निदेशक के परामर्श से, PMEGP के तहत उद्यम स्थापित करने / सेवा इकाइयों की शुरुआत करने के इच्छुक संभावित लाभार्थियों से परियोजना प्रस्तावों के साथ आवेदन आमंत्रित करते हुए प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से स्थानीय रूप से विज्ञापन देते हैं।
लाभार्थी अपना आवेदन https://www.kviconline.gov.in/pmegpeportal/pmegphome/index.jsp पर भी ऑनलाइन जमा कर सकते हैं और आवेदन का प्रिंटआउट ले सकते हैं और इसे एक विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट और अन्य आवश्यक दस्तावेज के साथ संबंधित कार्यालयों में जमा कर सकते हैं।
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना
यह योजना 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 20,000 करोड़ रुपये के कोष और 3,000 करोड़ रुपये के क्रेडिट गारंटी कोष के साथ शुरू की गई थी। इस योजना में तीन मुख्य उत्पाद शामिल हैं, जिनमें शामिल हैं:
शिशु: 50,000 रुपये तक के ऋण को कवर करना
किशोर: 50,000 रुपये से अधिक और 5 लाख रुपये तक के ऋण को कवर करना
तरुण: 5 लाख रुपये से अधिक और 10 लाख रुपये तक के ऋण को कवर करना
कौन आवेदन कर सकता है?
ग्रामीण या शहरी क्षेत्रों में 10 लाख रुपये तक की वित्तीय आवश्यकताओं वाले व्यवसाय/उद्यमी/इकाइयां।
आवेदन कैसे करें?
पात्र व्यक्ति और संस्थान अपने आवेदन संबंधित क्षेत्रों के नोडल अधिकारी को भेज सकते हैं। अधिक जानकारी https://www.mudra.org.in/AboutUs/Vision पर देखी जा सकती है ।
Edited by रविकांत पारीक